दलबदलुओं पर मेहरबानी से पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी
बंगाल में जगह-जगह हो रहे प्रदर्शन
कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में 200 सीटें जीतने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी के भीतर ही बगावत शुरू हो गई है। उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी होने के बाद कोलकाता समेत पूरे प्रदेश में पार्टी के कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इतना ही नहीं, बड़े नेताओं को घेराव भी कर रहे हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का दिल्ली बुलावा
पार्टी में हो रही बगावत को काबू करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने सामेवार रात अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष और अन्य नेताओं के साथ बैठक की थी। लेकिन, मंगलवार को भी भाजपा के हेस्टिंग स्थित कार्यालय के सामने कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व ने दिलीप घोष, मुकुल रॉय सहित अन्य नेताओं को मंगलवार रात दिल्ली बुला लिया।
दलबदलुओं को टिकट और सुरक्षा दोनों
भाजपा अभी तक एक दर्जन दलबदलुओं को टिकट दे चुकी है। इसमें टीएमसी, सीपीएम और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा से भाजपा में आये हुए नेता शामिल हैं। तृणमूल कांग्रेस छोड़कर जो नेता भाजपा में शामिल हुए हैं, उनमें से कई को पार्टी ने एक्स, वाई और जेड कैटेगरी की सुरक्षा भी मुहैया करवाई है। इसमें नंदीग्राम से ममता के खिलाफ चुनाव लड़ रहे शुभेंदु अधिकारी, खड़गपुर सदर सीट से उम्मीदवार बनाए गए हिरणमय चटर्जी, टीएमसी आए अशोक डिंडा, वनश्री माइती, वैशाली डालमिया जैसे नाम शामिल हैं।
तो क्या इनके भरोसे होगा बेड़ा पार
भाजपा ने बीते रविवार को बंगाल विधानसभा चुनाव के तीसरे और चैथे चरण के लिए उम्मीदवारों के नाम घोषित किए थे। तीसरे चरण के लिए 27 और चैथे चरण के लिए 38 उम्मीदवार घोषित किए गये थे। इसमें केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो सहित तीन मौजूदा सांसदों लॉकेट चटर्जी ,स्वपन दासगुप्ता और निशिथ प्रमाणिक को मैदान में उतारा गया है। सांसदों और मंत्रियों को टिकट देने के बाद से ही राजनीतिक हलकों में ये सवाल खड़े हो रहे हैं कि जो पार्टी 200 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रही है। लेकिन, उसे अपने मौजूदा सांसदों और केंद्रीय मंत्री को चुनाव में उतारना पड़ रहा है। इन सबके बीच स्वपन दासगुप्ता को राज्यसभा से इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने उनकी उम्मीदवारी पर तकनीकी सवाल खड़े किए थे।