क्या फिर, सड़क के रास्ते गांव जायेगा गांव…?

अमर भारती डेस्क

भारत में फिर एक बार कोरोना अपने पैर पसार चुका है। वायरस की दूसरी लहर एक बार फिर लोगों को घरों में बंद होने को मजबूर करने लगी है। ग़रीबों की ज़िन्दगी फिर एक बार संकट में आ रही है। ख़ासकर, उस तबके की, जो दो वक़्त की रोटी के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर अपनी ज़मीन छोड़ कर शहरों में पड़ा है।  

मुल्क एक बार फिर संकट के उसी दौर में जाता दिख रहा है, जहां पिछले साल यानी 2020 में था। एक तरफ कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं तो दूसरी तरफ शहरों में फिर से लॉकडाउन का डर सता रहा है। पहले की तरह एक बार फिर, प्रवासी मजदूरों के अपने घर वापस जाने की खबरें भी आनी शुरू हो चुकी हैं। लगातार बढ़ रही सख़्तियों के बीच लॉकडाउन की आहट सिर पर है। दिल्ली, पुणे समेत अन्य इलाकों से प्रवासी मजदूर अपने घर वापस लौटने लगे हैं।

दिल्ली के आनंद विहार टर्मिनल पर बीते दिन बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर घर जाते हुए दिखायी दे रहे थे। बिहार के कुछ मजदूरों का कहना है कि पिछली बार लॉकडाउन में वह लोग जहां थे, वहीं फंसे रह गए थे। ऐसे में अब अगर, फिर से ऐसी स्थिति बनती है तो, वे लोग यहां फंसना नहीं चाहते हैं। इसलिए, पहले से ही अपने घर जा रहे हैं।

आपको बता दें कि कोरोना संकट के चलते दिल्ली के साथ-साथ और भी कई शहरों में नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है। कई तरह की अन्य पाबंदियां भी लग चुकी हैं। लेकिन, फिर भी कोरोना के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में प्रवासी मजदूरों और जनता को फिर से लॉकडाउन का डर सता रहा है।

दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और यूपी जैसे कई राज्यों ने अपने शहरों में नाइट कर्फ्यू तो लागू कर दिया है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश में तो वीकेंड लॉकडाउन भी चल रहा है। बीते दिन, छत्तीसगढ़ के रायपुर में संपूर्ण लॉकडाउन का ऐलान कर दिया गया है। ऐसे में फिर लोगों को लॉकडाउन का डर सता रहा है।

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