अवैध खनन के चलते बुंदेलखण्ड कंगाली की कगार पर
खनिज सम्पदा से प्रतिवर्ष सरकार को मिल रहा करीब 10 अरब का राजस्व
बांदा। संत कबीर की अकाट्य वाणी ‘राम नाम की लूट है, लूट सको तो लूट ..!’ की उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में बालू माफिया, जनप्रतिनिधि और अधिकारियों की ‘तिकड़ी’ ने इबारत ही बदल दी है। केन नदी हो, बागै या फिर यमुना, इनकी तलहटी में बसे गांवों के मजदूर अब तो इसी तर्ज पर ‘लाल सोना की लूट है, लूट सको तो लूट’ जैसा गीत दिन-रात गुनगुना रहे हैं। यहां के लोग ‘बालू’ को ‘लाल सोना’ और पहाड़ों के ग्रेनाइट पत्थर को ‘काला सोना’ कहते हैं।
बढ़ गया अवैध खनन
भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने का वादा करने वाली सूबे की सरकार में पूर्ववर्ती सरकारों से ज्यादा अवैध बालू खनन देखने को मिल रहा है। अवैध खनन का आलम यह है कि प्रतिबंध के बावजूद पोकलैंड, जेसीबी और एलएनटी जैसी मशीनें बेधड़क नदियों का सीना चीर कर उनकी जलधारा ही बदल रहे हैं, जिससे बाढ़ और सूखे जैसा दंश हर साल किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
सत्तानशीन सफेदपोशों की मेहरबानी जारी
बुंदेलखंड में चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर को छोड़ दें, तो अकेले बांदा जिले में वैध रूप से बालू की छोटी-बड़ी 39 खदानें संचालित हैं। इन वैध खदानों की आड़ में अवैध खदानों की भरमार ज्यादा है और अवैध खनन का खेल बदस्तूर जारी है। वैसे तो, हर सरकार में विधायक और सांसदों के ऊपर बालू के इस गोरखधंधे में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन अब तो सत्ता पक्ष के सांसद, विधायक अवैध बालू खदानों से रंगदारी व खनन के लिए बदनाम हैं। जिसका उदाहरण सांसद आर के पटेल के लड़के सुनील पटेल तथा नरैनी विधायक राजकरण कबीर तो कानूनी तौर पर मीडिया में सुर्खियां बटोर चुके हैं।
यह भी हुआ था प्रकरण
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे बसपा के गयाचरन दिनकर को भारी मतों से हरा कर पहली बार नरैनी सीट से विधायक चुने गए भाजपा के राजकरन कबीर ने एक टीवी चैनल को दिए अपने पहले इंटरव्यू में कहा था कि, अपने क्षेत्र में बालू के अवैध खनन पर रोक लगाना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। विधायक ने अवैध खनन और ओवरलोडिंग वाहनों के खिलाफ 14 जून 2017 की रात नरैनी चैराहे पर अपनी ही सरकार के खिलाफ करीब तीन घंटे तक धरना भी दिया था। लेकिन कुछ दिन बीते थे कि पूर्व पुलिस अधीक्षक शालिनी ने रात में छापा मारकर अवैध बालू लदे ट्रकों की निकासी और उनसे वसूली करते रंगे हाथ गिरफ्तार कर उनके चचेरे भाई (विशाल, निवासी मुरवां) को जेल भेज दिया था।
यहां हो रहा धड़ल्ले से अवैध खनन
विधायक के एक भाई पर विधानसभा चुनाव के बाद से ही पांडादेव, रिसौरा और मऊ गांवों में बालू का अवैध खनन कराने के आरोप है। कांग्रेस के एक पूर्व विधायक भी बालू माफियाओं की श्रंखला में शामिल हैं। केन नदी के भूरागढ़ दुर्ग से अवैध खनन दिन दहाड़े डंके की चोट पर जारी है। बगल में दुरेंडी बालू घाट और उसके आस-पास तलहटी में प्रतिबंधित मशीनों से दिन में अवैध खनन होता है। सादी मदनपुर खपटिहा, कनवारा खदानों के सभी खंड, राजा हुसैन कान्ट्रेक्ट सहित बेंदा जौहरपुर की खदानें अवैध खनन का बेखौफ रिकार्ड कायम किये हुये है। प्रशासनिक ललकार इनके नक्कार खाने में “तूती” बन कर रह गई है!गजब की शांति रहती है। आखिर क्यों?
करीब दस अरब का होता है फायदा
माफिया, जनप्रतिनिधि और अधिकारियों की ‘तिकड़ी’ को जब तक राज्य सरकार अलग-थलग नहीं कर देती, तब तक अवैध खनन पर रोक लगाने की बात बेईमानी होगी। लोगों की माने तो बांदा डीएम आनंद सिंह का अवैध खनन रोकने के प्रति प्रयास सराहनीय है। लेकिन, जब उनके आधीन संबंधित सारा स्टाफ बालू के अवैध खनन एवं परिवहन के हम्माम में नंगा है तो अकेले दम पर वह कितना सफल प्रयास कर पायेगे? बालू ‘लाल सोना’ है और इसे लूटना तिकड़ी का ‘स्टेटस सिंबल’ बन चुका है। बालू और पत्थर के अवैध खनन से ही बुंदेलखंड कंगाल होने की कगार पर पहुंच गया है। वैधानिक तौर पर इस खनिज संपदा से करीब दस अरब रुपये हर साल राजस्व के रूप में राज्य सरकार को फायदा होता है।