वैैलर डे: 1965 में पुलिस और फौज के बीच अनोखी जंग की दास्तां

सीआरपीएफ और पाकिस्तानी फौज के बीच चली जंग

नई दिल्ली। जब भी बात जंग की आती है, तो तस्वीर फौज की बनती है, सेना के जवानों की बनती है। भारी भरकम टैंक और इन्फेन्ट्री बटालियन के बीच होने वाली जंग से इतर आज हम आपको उस लड़ाई के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें हिन्दुस्तान की पुलिस ने पाकिस्तानियों को न सिर्फ नाको चने चबवा दिये, बल्कि 34 पाकिस्तानी इन्फेन्ट्री के सिपाहियों को मार गिराया। साथ ही, पाकिस्तानी ब्रिगेड के 3500 रेन्जर्स को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। आखिर, कौन थी वह पुलिस बल और क्या थी वह घटना, आइये जानते हैं…

सीआरपीएफ के सेकेण्ड बटालियन के जवान थे तैनात
साल 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच तंग हालातों में जंग का होना लाज़मी होता जा रहा था। गुजरात के कच्छ का रण पर केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ की दो पोस्ट थीं। एक सरदार पोस्ट और दूसरी टाक पोस्ट। सरदार पोस्ट पर सेकेण्ड बटालियन सीआरपीएफ के जवान तैनात थे। तनाव के चलते 8 अप्रैल को दोपहर में पश्चिमी पाकिस्तानी रेंजर्स, राजकोट सीआरपीएफ डीआईजी को संदेश भेजते हैं कि वह बार्डर पर स्टैण्ड आफ के लिए लोकल कमांडर्स की मीटिंग करना चाहते हैं। हालांकि, पोस्ट पर मौजूद अधिकारियों को यह बात कुछ हजम नहीं होती है और नाइट पैट्रोलिंग के वक़्त वे अपने जवानों से और अधिक सतर्कता बरतने को कहते हैं।

पाकिस्तानी फौज कर देती है हमला
रात में सीआरपीएफ के बहादुर जवान पैट्रोलिंग कर रहे होते हैं। तारीख बदल जाती है और आती है 09 अप्रैल। देर रात करीब 02 बजे सरदार पोस्ट पर संतरी ड्यूटी तब्दील होती है। लेकिन, उसी वक्त दक्षिण की ओर से भारी संख्या में पाकिस्तानी रेंजर्स सरदार पोस्ट पर कब्ज़ा करने की नीयत से हमला बोल देते हैं। हमला बोलते ही वे सरदार पोस्ट के चारों ओर फैल जाते हैं। सीआरपीएफ के वीर जवान पाकिस्तानी रेंजर्स का डटकर मुकाबला कर रहे होते हैं। दोनों ओर से गोलाबारी जारी थी। गोलियों और मोर्टार की आवाज से कच्छ के रण का इलाका थर्राने लगता है। आग के शोले आसमान तक उठते दिखाई देने लगते हैं।

दुश्मन मोर्टार से करता है शेलिंग
तभी, करीब 600 गज पश्चिम की ओर से एक पाकिस्तानी मोर्टार सरदार पोस्ट पर काफी हमलावर होती है। सीआरपीएफ की टाक पोस्ट मोर्टार की इस पोजीशन पर हमला करने में सक्षम थी और मोर्टार को तगड़ा जवाब दिया जाता है। एक ही बार में सीआरपीएफ का मोर्टार दुश्मन के मोर्टार को उड़ा देता है। सरदार पोस्ट और टाक पोस्ट के बीच भारी शेलिंग हो रही थी। तभी, सरदार पोस्ट के कमांडिग अफसर ने अपने जवानों को फायर रोकने को कहा, ताकि पाकिस्तानी रेंजर्स और नज़दीक रेंज में आ जायें और सीआरपीएफ के जवान अपने दुश्मनों को आसानी से जंग के मैदान में अपना निवाला बना सकें।

पाकिस्तान के 3500 रेंजर्स
सरदार पोस्ट पर हुए इस हमले में पाकिस्तान की एक ब्रिगेड थी। लगभग 3500 जवानों का सामना हिन्दुस्तान की बहादुर पुलिस बल यानी सीआरपीएफ कर रही थी। जैसे ही दुश्मन की एडवांस पार्टी नज़दीक पहुंची, सीआरपीएफ के जवानों ने दुश्मन पर जमकर फायर झोंक दिये। अचानक, और तीव्र गति तथा मुस्तैदी से दुरुस्त सिस्थ और दुरुस्त ट्रिगर आपरेशन से किये गये इस हमले ने तब तक कई पाकिस्तानी रेंजर्स को मौत के घाट उतार दिया था।

रिइनफोर्समेन्ट की मांग
लेकिन, इसी बीच, सरदार पोस्ट पर एम्यूनिशन यानी गोला-बारूद खत्म होने लगा था। पोस्ट के लिए रिइनफोर्समेन्ट की मांग की जाती है। लेकिन, अगले 15 घंटे से पहले रिइनफोर्समेंट मिल पाना नामुमकिन था। भारतीय सेना को पहुंचने में करीब इतना वक़्त लगना लाज़मी था। तभी सरदार पोस्ट से एक जवान दुश्मन की गोलियों का जवाब देता हुआ टाक पोस्ट पहुंचता है और एम्यूनिशन के बारे में बताता है। टाक पोस्ट से तुरंत एम्यूनिशन को सरदार पोस्ट पहुंचाया जाता है।

34 दुश्मन मार गिराये
सीआरपीएफ के बहादुर शौर्यवान जवानों और 3500 पाकिस्तानी रेंजर्स के बीच यह जंग अलगे दिन शाम 5 बजे तक चली। भारत माता के वीर सपूत इन सीआरपीएफ के जवानों ने इस अनोखी जंग में तब तक मोर्चा संभाले रखा, जब तक कि इंडियन आर्मी नहीं पहुंच गई। इस बीच, पाकिस्तानी फौज के 34 सिपाहियों को केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के वीर जवानों ने मार गिराया।

6 सीआरपीएफ जवान भी शहीद
सेकेण्ड बटालियन सीआरपीएफ की एक छोटी टुकड़ी ने गुजरात के कच्छ के रण में सरदार पोस्ट पर एक पाकिस्तानी ब्रिगेड के एक हमले को सफलतापूर्वक लड़ा और जीता। 34 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया और कुछ जिंदा भी पकड़ लिये गये। सैन्य लड़ाई के इतिहास में कभी भी मुट्ठी भर पुलिसकर्मियों ने इस तरह से भारी पैदल सेना से नहीं लड़ा। इस संघर्ष में, सीआरपीएफ के छह बहादुरों ने भी शहादत पाई।

ज़रा याद करो कुर्बानी
केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल का गौरवशाली इतिहास इसकी अदम्य वीरता, साहस, शौर्य और पराक्रम का परिचायक है। भारतीय इतिहास में इस जंग ने सीआरपीएफ की छाती पर वीरता का वह तमगा दिया, जिसे हम आज ‘वैलर डे’ कहते हैं। इसी जंग की याद में सीआरपीएफ हर साल शौर्य दिवस यानी वैलर डे मनाती है। सीआरपीएफ की इस वीरता को आप आने वाली नस्लों को ज़रूर बतायें क्योंकि हिन्दुस्तान की इस पुलिस बल के जवानों ने पूरी पाकिस्तानी फौज को ललकारते हुए पीछे हटने पर मजबूर किया था।