नई दिल्ली। नारदा रिश्वत मामले में गिरफ्तार किए गए ममता बनर्जी के दो मंत्री सुब्रत मुखर्जी और फरहाद हकीम, एक तृणमूल कांग्रेस विधायक मदन मित्रा और तृणमूल के एक पूर्व सदस्य शोबन चटर्जी, फिलहाल के लिए हाउस अरेस्ट रहेंगे। कोलकाता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को यह आदेश दिया। साथ ही नेताओं की जमानत अर्जी पर तीन सदस्यीय पीठ सुनवाई करेगी। नारदा केस में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने इन चारों लोगों को इस हफ्ते की शुरुआत में गिरफ्तार किया था।
गुरुवार को टली थी सुनवाई
गुरुवार को मामले में सुनवाई नहीं हो पाई थी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण सुनवाई नहीं थी। सुनवाई के लिए शुक्रवार की तारीख दी गई थी।
दो सदस्यीय पीठ के दोनों न्यायाधीशों का अलग-अलग मत
दो सदस्यीय पीठ के न्यायाधीशों का अलग-अलग मत होने के बाद हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने नेताओं को हाउस अरेस्ट करने का आदेश दिया जबकि जस्टिस अर्जित बनर्जी ने अंतरिम जमानत का आदेश दिया। जस्टिस बनर्जी ने कहा, “पीठ के एक सदस्य ने अंतरिम जमानत देना उचित समझा जबकि एक अन्य सदस्य इस पर सहमत नहीं हैं। इस स्थिति में अंतरिम जमानत पर बड़ी पीठ विचार करेगी। इस बीच, महामारी की स्थिति को देखते हुए हाउस अरेस्ट दिया जा रहा है।”
‘यह राजनीतिक प्रतिशोध का स्पष्ट उदाहरण है’ : मुख्यमंत्री
उधर, केंद्रीय एजेंसी सीबीआई और तृणमूल कांग्रेस दोनों ने हाउस अरेस्ट का विरोध किया। सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस फैसले पर रोक लगाने की मांग की। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा,“ मामला विचाराधीन है और मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती। हालांकि, मैं कहूंगी कि उनके साथ जो हुआ वह गलत है। यह जान-बूझकर राजनीतिक प्रतिशोध का एक स्पष्ट उदाहरण है। बॉबी (फरहाद हकीम) और उनकी टीम सड़कों पर कोविड से लड़ रही थी। यहां तक कि उन्होंने स्वेच्छा से कोविशील्ड के परीक्षण के लिए अपनी जान जोखिम में डाली थी। अब उसे और अन्य लोगों को दिन-ब-दिन सलाखों के पीछे रखा जाता है। तीन-चार दिन बीत चुके हैं। वे कई दिनों तक काम नहीं कर सके। मुझे उम्मीद है कि हमें अदालत से न्याय मिलेगा।”