बहुचर्चित रेप केस में तहलका : गोवा कोर्ट ने तरुण तेजपाल को बलात्कार मामले में आरोपों से किया बरी

नई दिल्ली। तहलका पत्रिका के संस्थापक और पूर्व एडिटर इन चीफ तरुण तेजपाल को गोवा की एक अदालत ने बलात्कार के आरोप से बरी कर दिया है। फिलहाल तरुण तेजपाल जमानत पर बाहर थे। आज बरी होने के बाद, तेजपाल ने एक बयान में कहा, “नवंबर 2013 में एक सहकर्मी ने मुझ पर यौन उत्पीड़न का झूठा आरोप लगाया था और आज गोवा में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की निचली अदालत ने मुझे बरी कर दिया है। एक बेहद खराब दौर में जहां साधारण साहस दुर्लभ हो गया है, मैं सच्चाई के साथ खड़े होने के लिए उनका धन्यवाद करता हूं।”

2013 में यौन उत्पीड़न का लगा था आरोप

बता दें कि इस केस में कई ट्विस्ट एंड टर्न्स देखने को मिले थे। 7 और 8 नवंबर, 2013 को, गोवा के एक फाइव स्टार रिजॉर्ट में एक सम्मेलन के दौरान एक जूनियर सहयोगी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगा था । 22 नवंबर को गोवा पुलिस ने तेजपाल के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए एफ.आई.आर दर्ज की थी।

गिरफ्तारी के बाद 2014 में मिली थी जमानत

तेजपाल 28 नवंबर, 2013 को गोवा आया और उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद 30 नवंबर को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें अपनी मां के दाह संस्कार में शामिल होने के लिए 19 मई ,2014 को अंतरिम जमानत दी गई थी और तब से वह जेल से बाहर थे। जुलाई 2014 में तेजपाल को जमानत मिल गई थी।

2017 में फिर से शुरू हुआ था ट्रायल

2017 में मापुसा कोर्ट ने पूर्व जर्नलिस्ट पर रेप, यौन शोषण और गलत तरीके रोक लगाने के आरोप तय किए थे। तरुण तेजपाल ने इन आरोपों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि छह महीने के भीतर इस केस का निपटारा किया जाए। पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल पूरा करने के लिए 31 मार्च, 2021 तक का समय दिया था, हालांकि मामला मई तक खिंचा है।‌ इससे पहले, ट्रायल पूरा करने की समयसीमा इस साल के 31 दिसंबर थी। गोवा पुलिस ने तेजपाल के खिलाफ ट्रायल पूरा करने के लिए और मोहलत मांगी थी। उस समय सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गोवा पुलिस की ओर से कहा था कि पीड़िता फेफड़ों की समस्या से पीड़ित हैं और फिलहाल यात्रा नहीं कर सकतीं, इसलिए जांच के लिए वक्त बढ़ाया जाना चाहिए।

इसके पहले 19 अगस्त, 2019 को तेजपाल को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा था, जब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए यौन उत्पीड़न के इस मामले में मुकदमे की सुनवाई शुरू करने का आदेश दिया था। शीर्ष कोर्ट ने गोवा की निचली अदालत में मामले की सुनवाई पर लगी रोक हटा ली थी।

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