नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन की पीएम मोदी ने की समीक्षा बैठक
नई दिल्ली। देश में स्वास्थ्य के क्षेत्र को और बेहतर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 को नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन (एनडीएचएम) की घोषणा की थी। इस योजना के तहत 6 केंद्र शासित प्रदेशों में एनडीएचएम पायलट प्रोजेक्ट के तहत लॉन्च किया गया, जिसके तहत अब तक लगभग 11.9 लाख से ज्यादा लोगों को डिजिटल हेल्थ आईडी दी जा चुकी है। इसके साथ ही 3,106 डॉक्टरों एवं 1,490 स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी सुविधाओं ने इस प्लेटफार्म पर पंजीकरण कराया है। नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन के तहत वन नेशन वन हेल्थ कार्ड की दिशा में बड़ा कदम है।
अलग आईटी नेटवर्क किया जा रहा तैयार
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की प्रगति की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान बताया गया कि डिजिटल स्वास्थ्य के लिए मुक्त और अंतर-संचालित आईटी नेटवर्क तैयार किया जा रहा है, जिसे यूनीफाइड हेल्थ इंटरफेस – यूएचआई नाम दिया गया है। यह सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में समाधान उपलब्ध कराएगा और राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य व्यवस्था के अंग के रूप में काम करेगा।
यूजर को मिलेंगी कई आवश्यक सेवाएं
इससे यूजर टेली कंसल्टेशन या प्रयोगशालाओं में जांच जैसी आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की तलाश, बुकिंग कर सकेंगे। इस व्यवस्था से सुनिश्चित होगा कि राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य व्यवस्था में केवल सत्यापित स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं को ही शामिल किया जा सके। इस तरह से स्वास्थ्य देखभाल संबंधी बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों को देशभर में ज्यादा कुशलता और दक्षता पूर्वक भी उपयोग किया जा सकता है।
डिजिटल भुगतान का भी ऑप्शन
बैठक में यूपीआई ई-वाउचर पर भी चर्चा की गई। यूपीआई ई-वाउचर को नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने विकसित किया है। डिजिटल भुगतान का यह विकल्प विशिष्ट उद्देश्य से जुड़े वित्तीय लेनदेन को सक्षम बनायेगा जिसका उपयोग केवल इच्छुक उपयोगकर्ता द्वारा किया जा सकता है। यह विभिन्न सरकारी योजनाओं के लक्षित और कुशल वितरण के लिए उपयोगी हो सकता है और यूपीआई ई-वाउचर का तत्काल उपयोग स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में हो सकता है।
पीएम ने दिए तेजी से काम करने के निर्देश
प्रधानमंत्री ने कहा कि एनडीएचएम के तहत गतिविधियों में विस्तार करने के लिए तेजी से कदम उठाए जाएं। नागरिकों के लिए इस प्लेटफॉर्म की उपयोगिता केवल तभी नजर आएगी, जब देशभर के नागरिक डॉक्टर के साथ टेली कंसल्टेशन और प्रयोगशाला जांच जैसी सेवाएं हासिल कर सकेंगे। उन्होंने इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों के समन्वय के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय के साथ एनएचए को निर्देश दिया।
जानिए, क्या है हेल्थ आईडी?
बता दें कि डिजिटल हेल्थ मिशन का उद्देश्य लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना है। इस मिशन के तहत हर व्यक्ति की एक हेल्थ आईडी बनेगी। हेल्थ-आईडी बनाने का विकल्प चुनने पर, लाभार्थी का नाम, जन्म का वर्ष, लिंग, मोबाइल नंबर और पता एकत्र किया जाता है।
व्यक्ति की सहमति से ही देख सकेंगे आईडी
इस प्रणाली का उपयोग प्रत्येक व्यक्ति के लिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड बनाने के लिए किया जा सकता है, जिसमें डॉक्टरों, स्वास्थ्य सुविधाओं और प्रयोगशालाओं जैसे विभिन्न स्वास्थ्य सूचना द्वारा उत्पन्न रिकॉर्ड्स को किसी भी स्वास्थ्य विशेषज्ञ द्वारा उस व्यक्ति की सहमति से देखा जा सकता है। दरअसल इसके जरिए अगर कोई व्यक्ति डॉक्टर के पास जाता है, तो डॉक्टर उसकी हेल्थ आईडी की मदद से यह जान लेगा कि उसने कब-कब डॉक्टर को दिखाया है। साथ ही उसने कब कौन सी दवाएं खायी है।