चित्रकूट। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में राम जन्मभूमि ट्रस्ट के जमीन विवाद को लेकर मीडिया, जनता और विपक्ष सभी की नजरें संघ के स्टैंड पर हैं। माना जा रहा था कि संघ के मंथन में चंपत राय को ट्रस्ट के महामंत्री पद से हटाए जाने का फैसला लिया जा सकता है पर ऐसा नहीं हुआ। चित्रकूट पहुंचे चंपत राय ने संघ को सफाई दी, लेकिन शीर्ष पदाधिकारी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। उन्हें संघ की अदालत से क्लीन चिट नहीं मिली। फिलहाल संघ के शीर्ष नेतृत्व ने चंपत राय को अभय दान जरूर दे दिया है।
संघ की चम्पत राय को सलाह
संघ ने हिदायत दी है कि चंपत राय इस विवाद पर किसी भी हाल में बयानबाजी न करें। इसी शर्त पर उन्हें पद पर बनाए रखने का फैसला लिया गया है। यह भी स्पष्ट कहा गया कि इस मामले में कहीं न कहीं तो चूक हुई है। संघ की छवि को इससे बहुत धक्का पहुंचा है।
यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि अगर श्री राम जन्मभूमि जमीन विवाद ने ज्यादा तूल पकड़ा तो चंपत राय को पद से हटना भी पड़ सकता है।
चंपत राय बोले- कानून के दायरे में रहकर कदम उठाए
चंपत राय ने कहा कि उन्होंने जो भी किया, वह ‘नैतिकता’ और ‘कानून’ के दायरे में रहते हुए किया। मंदिर के लिए जिस जमीन को खरीदा गया, वह वास्तुशास्त्र के लिहाज से बेहद जरूरी थी। निर्माणाधीन मंदिर की कल्पित संरचना, बिना उस जमीन के पूरी नहीं होती।
उन्होंने कहा, “आप लोग जो निर्णय लेंगे, मैं उसे स्वीकार करूंगा। आप चाहें तो मुझे पद से हटा सकते हैं। मैंने हिंदू धर्म के लिए अपना पूरा जीवन सौंपा है। संघ का जो आदेश होगा, उसका मैं पालन करूंगा।’
बता दें कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सरकार द्वारा बनाया गया है। इसलिए इसमें पदासीन लोगों को निकालने का फैसला योगी सरकार ही करेगी, लेकिन यह जगजाहिर है कि इस फैसले पर मुहर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ही लगेगी।