नई दिल्ली। पेगासस स्पाईवेयर के जासूसी मामले में केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इसके लिए सरकार विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाएगी जो इस मामले में लगे आरोपों पर जांच करेगी। केंद्र सरकार ने यह फैसला ऐसे समय पर लिया है जब संसद के मॉनसून सत्र के दौरान विपक्ष पेगासस समेत कई अन्य मुद्दों को लेकर हंगामा कर रहा था और सत्र का कामकाज भी ठीक ढंग से नहीं हो पाया। सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार ने यह जानकारी दी है।जनहित याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच कराने की मांग भी की गई है।
सरकार ने किया सभी आरोपों को खारिज
हालांकि सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकायों में लगाए गए आरोपों को केंद्र सरकार ने खारिज किया है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि इस मामले में दायर याचिकाएं अनुमानों या फिर अप्रमाणित मीडिया रिपोर्टों पर ही आधारित है। सुप्रीम कोर्ट में इसको लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार ने यह जानकारी दी है।जनहित याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच कराने की मांग भी की गई है।
पेगासस मामले के लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दर्ज
कई मीडिया संस्थान, पत्रकारों और नेता द्वारा इसपर जांच करने की मांग की जा रही थी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में पेगासस जासूसी मामले को लेकर विभिन्न याचिकाएं दायर की गई हैं और इन याचिकाओं में पेगासस जासूसी कांड की कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की गई है। इनमें राजनेता, एक्टिविस्ट, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकारों एन. राम और शशि कुमार द्वारा दी गई अर्जियां भी शामिल हैं। प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ इसकी सुनवाई कर रही है।
बता दें कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने एक खबर में दावा किया गया है कि 300 सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाईवेयर के जरिये जासूसी के संभावित निशाने वाली सूची में शामिल थे। जिसके बाद कई पत्रकारों, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ता और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा दायर अर्जियां में अनुरोध किया है कि पत्रकारों और अन्य के सर्विलांस की जांच कराने के लिए विशेष जांच दल का गठन किया जाए।