हिंदू रक्षा दल के सदस्य है पिंकी चौधरी उर्फ भूपेंद्र शर्मा
नई दिल्ली। दिल्ली की जंतर-मंतर में बीती 8 अगस्त को एक विशेष समुदाय के विरोध में लगे नारों के मामले की ख़बरों ने सोशल मीडिया पर कई दिनों तक ख़ासी जगह घेरी हुई थी। जिसके बाद एक बार फिर उस मामले से संबंधित ख़बर हर जगह तैर रही है। दरअसल इस बार की ख़बर भड़काऊ नारों के मामले में संलिप्त व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज करने की है। बताना होगा कि 8 अगस्त को जंतर-मंतर पर विशेष समुदाय के विरोध में नारे लगाने वालों के खिलाफ 9 अगस्त को कनॉट प्लेस के थाने में एफआईआर दर्ज की थी। जिसके बाद छह लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था। इनमें दिल्ली प्रदेश बीजेपी के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय भी शामिल थे। आपको बता दें कि अश्विनी उपाध्याय को जमानत मिल चुकी है। लेकिन एक शख्स भी है जो अभी तक पुलिस की गिरफ्त से दूर है। जिसका नाम भूपेंद्र शर्मा उर्फ पिंकी चौधरी है। बताया जा रहा है कि पिंकी चौधरी ने ही कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका पर रोक लगा दी है।
पिंकी चौधरी ने दायर की अग्रिम जमानत याचिका
जंतर-मंतर में हो रही नारेबाजी के दौरान वहां पर मौजूद हिंदू रक्षा दल के सदस्य पिंकी चौधरी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट की ओर कदम बढ़ा कर अग्रिम जमानत की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दी है। साथ ही कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए विशेष टिप्पणी भी दी। जो सुनने लायक है।
टिप्पणी पर किया तालिबान का ज़िक्र
अतिरिक्त सत्र के न्यायधीश अनिल अंतिल ने बीती 21 अगस्त को याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि, “हम तालिबान स्टेट नहीं हैं। हमारे बहुल और बहुसांस्कृतिक समाज में कानून के पवित्र शासन का सिद्धांत है। जब पूरा भारत आज़ादी का अमृत महोत्सव (स्वतंत्रता दिवस) मना रहा है तब कुछ लोग अभी भी असहिष्णु और आत्मकेंद्रित विश्वासों के साथ जकड़े हुए हैं। अदालत के सामने रखे गए तथ्यों से पता चलता है कि कथित मामले में अपराध के पीछे आवेदक/अभियुक्त की संलिप्तता प्रथम दृष्टया स्पष्ट है।”
अभिव्यक्ति की आज़ादी पर कोर्ट की टिप्पणी
अदालत ने आगे कहा कि- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार ‘पूर्ण नहीं’ है, न ही इसे अन्य लोगों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करने के लिए बढ़ाया जा सकता है। न ही इसका शांति, सद्भाव और पब्लिक आर्डर के प्रतिकूल कृत्यों तक विस्तार किया जा सकता है, न ही इसे हमारे समाज के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर आक्रमण करने और नष्ट करने की अनुमति दी जा सकती है। आपको बता दें कि इससे पहले 13 अगस्त को एक अदालत ने इसी मामले में 3 आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया था। उन पर भी जंतर-मंतर पर भड़काऊ और मुस्लिम विरोधी नारे लगाने के आरोप हैं।