महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को जोरदार थप्पड़ मारने का दिया था बयान
नई दिल्ली। मुख्यमंत्री को जोरदार थप्पड़ मारने वाले बयान का बचाव कर एफआईआर झेलने वाले केंद्रीय मंत्री नारायण राणे बीते कुछ दिनों से पुलिस और परेशानियों से घिरे हुए है। दरअसल 19 अगस्त से अपने संबंधित गृह राज्य पहुंचकर जन आशीर्वाद यात्रा शुरू करने वाले नारायण राणे ने 23 अगस्त को महाड में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को जोरदार थप्पड़ मारने का बयान दिया। जोरदार थप्पड़ मारने के इस बयान का प्रभाव इतना था कि नारायण राणे को कोर्ट के चक्कर तक लगाने पड़े। आपको बता दें कि बीते मंगलवार को महाराष्ट्र पुलिस ने केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को गिरफ्तार किया। जिसके बाद देर रात तक उन्हें कोर्ट के सामने रहना पड़ा। लेकिन उसके बाद कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी।
शर्तों के बाद कोर्ट ने दी जमानत
थप्पड़ मारने वाले विवादित बयान को लेकर शिव सेैनिकों द्वारा की गई एफआईआर के बाद नारायण राणे को महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार कर अदालत ले गए। बता दें कि पुलिस ने नारायण राणे को उस वक़्त गिरफ़्तार किया जब वे लंच कर रहे थे। उनके वकील ने रायगढ़ की अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल को बिना नोटिस के गिरफ़्तार किया गया है। साथ ही उनके केंद्रीय मंत्री होने और उनकी तबीयत का भी हवाला दिया। जिसके बाद नारायण राणे को रायगढ़ कोर्ट ने मंगलवार देर रात 15 हज़ार के निजी मुचलके पर जमानत तो दे दी लेकिन उनकी गिरफ़्तारी को जायज ठहराया। जिसके बाद अब नारायण राणे बॉम्बे हाई कोर्ट का रूख कर सकते हैं।
शिव सेना के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज
बता दें कि नासिक में भाजपा कार्यालय के सामने शिव सेना के कार्यकर्ताओं द्वारा पथराव भी किया गया। साथ ही मुंबई में राणे के घर के बाहर शिवसैनिकों ने काफी हंगामा भी किया। जिसके बाद महाराष्ट्र पुलिस को शिव सेना के कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज करना पड़ा।
20 साल में पहली बार हुई किसी केंद्रीय मंत्री की गिरफ़्तारी
बताना होगा कि राणे बीते 20 साल में पहले ऐसे केंद्रीय मंत्री हैं, जिनकी गिरफ़्तारी हुई है। इससे पहले साल 2001 में तमिलनाडु में कैबिनेट मंत्रियों की गिरफ्तारी हुई थी। केंद्रीय मंत्री मुरासोली मारन और टीआर बालू को उस समय गिरफ्तार किया गया था। मारन उस समय केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री थे और बालू केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्री थे।
दरअसल तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि पर फ्लाइओवर घोटाले में शामिल होने का आरोप था। जब पुलिस करुणानिधि को गिरफ्तार करने पहुंची, उस वक्त टीआर बालू और मुरासोली मारन भी वहीं थे। उन्होंने करुणानिधि की गिरफ्तारी का विरोध किया। पुलिस ने दोनों को शासकीय कार्य में बाधा डालने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। भारत के इतिहास में ये पहला मामला था जब पद पर रहते हुए केंद्रीय मंत्रियों की गिरफ्तारी हुई थी।