लखनऊ, 27 मार्च: राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे. एन. तिवारी के नेतृत्व में आज संयुक्त परिषद कार्यालय, 504 शालिग्राम अपार्टमेंट, जियामऊ, लखनऊ में उत्तर प्रदेश सरकार के “सेवा सुरक्षा एवं सुशासन” के 8 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर परिषद के पदाधिकारियों ने प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं और सरकारी कर्मचारियों की भूमिका पर चर्चा की।
प्रदेश के 75 जनपद मुख्यालयों पर आयोजित संगोष्ठियों के माध्यम से सरकारी उपलब्धियों को उजागर किया गया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बधाई दी गई। प्रेस वार्ता में जे. एन. तिवारी ने बताया कि सरकार ने किसान समृद्धि, महिला सशक्तिकरण, युवा रोजगार, समाज कल्याण, राशन योजना जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू किया है, जिनकी सफलता में राज्य कर्मचारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
उन्होंने मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास योजना, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना सहित अन्य योजनाओं का उल्लेख किया और कहा कि इन योजनाओं के क्रियान्वयन में सरकारी कर्मचारियों का शत-प्रतिशत योगदान रहा है।
सरकार द्वारा कर्मचारियों के हित में लिए गए निर्णयों में मानव संपदा पोर्टल पर डेटा फीडिंग, महिला कर्मियों की सुरक्षा के विशेष आदेश, बोनस भुगतान और महंगाई भत्ते की समय पर अदायगी, कोविड संकट के दौरान वेतन और पेंशन का नियमित भुगतान, संविदा कर्मियों का वेतन बढ़ोतरी, सातवें वेतन आयोग का लाभ, आउटसोर्स कर्मियों के लिए न्यूनतम वेतन निर्धारण, राज्य कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए कैशलेस इलाज की सुविधा, वेतन विसंगतियों का समाधान, नगरीय परिवहन कर्मचारियों की समस्याओं का निराकरण और पेंशन प्रणाली में सुधार जैसे निर्णय शामिल हैं।
विचार गोष्ठी में परिषद के उपाध्यक्ष रिंकू राय, त्रिलोकी नाथ चौरसिया, अयोध्या सिंह, तेज बहादुर शर्मा, महेंद्र सिंह, गोविंद कुमार, प्रदीप तिवारी, ओमप्रकाश पांडे, हरगोविंद यादव सहित विभिन्न कर्मचारी नेताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।
जे. एन. तिवारी ने कहा कि विभागीय अधिकारी कर्मचारियों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, जिससे कर्मचारियों में असंतोष है। उन्होंने मुख्यमंत्री से रिक्त पदों को भरे जाने, समय पर पदोन्नति कराने, पुरानी पेंशन बहाली, लिपिकीय संवर्ग के कैडर रिव्यू, आशा बहुओं का मानदेय बढ़ाने जैसी मांगों पर ध्यान देने की अपील की।
उन्होंने खाद्य रसद विभाग में कर्मचारियों से सप्ताह में 7 दिन, 12 घंटे ड्यूटी लेने और स्थानीय अवकाश रद्द करने को अनुचित बताया तथा मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की। गोष्ठी के अंत में सभी कर्मचारी नेताओं ने “सेवा सुरक्षा एवं सुशासन” की नीति को सफल बनाने में कर्मचारियों की भूमिका को सराहा और सरकार से उनके योगदान का उचित सम्मान देने की मांग की।