रक्षाबंधन 2025: चौक सराफा में चमक रही Gold & Silver राखियों की अनमोल डोर!

सोने की राखियाँ: ₹7,000 से ₹50,000 तक

रक्षाबंधन का पर्व भाई और बहन के पवित्र रिश्ते की डोर को और भी मजबूत करता है। यह त्योहार सिर्फ एक धागा बाँधने तक सीमित नहीं, बल्कि उस अनमोल भावना का उत्सव है, जिसमें बहन अपने भाई की लंबी उम्र, सफलता और सुरक्षा की कामना करती है। हर साल इस दिन को खास बनाने के लिए लोग नई-नई राखियाँ और उपहार खरीदते हैं, लेकिन इस बार लखनऊ का ऐतिहासिक चौक सराफा बाज़ार इस पावन पर्व को एक अलग ही स्तर पर ले जा रहा है।

डायमंड राखियाँ (ऑर्डर पर): ₹20,000 से ₹2 लाख तक

चौक सराफा बाजार, जो पहले से ही अपने शानदार आभूषणों और पारंपरिक डिजाइनों के लिए प्रसिद्ध है, अब रक्षाबंधन 2025 के मद्देनज़र खास तैयारियों में जुटा है। इस बार यहां पारंपरिक धागों की जगह सोने, चाँदी और डायमंड राखियों की धूम मची हुई है। बाजार में भव्यता और श्रद्धा का अनोखा मेल देखने को मिल रहा है। दुकानदारों से लेकर डिज़ाइनर्स तक, सभी इस बार कुछ खास और यादगार देने के प्रयास में लगे हैं।

चाँदी राखियाँ: ₹500 से ₹3,000 तक

चौक सराफा एसोसिएशन के महामंत्री विनोद महेश्वरी बताते हैं कि इस साल बाजार में राखियों की रेंज काफी विस्तृत और विविध है। चांदी की हल्की और आकर्षक डिजाइनों से लेकर भारी-भरकम गोल्ड ब्रैसलेट स्टाइल राखियाँ तक, हर ग्राहक के लिए कुछ खास मौजूद है। उनका कहना है कि आज की बहनें केवल परंपरा नहीं निभातीं, बल्कि त्योहार के माध्यम से एक स्टाइल स्टेटमेंट भी देती हैं। इसीलिए इस साल बाजार में ‘क्लासिक विद ए ट्विस्ट’ थीम पर राखियाँ पेश की जा रही हैं।

विनोद ज्वेलर्स के युवा और इनोवेटिव ज्वेलर, विदांश महेश्वरी का मानना है कि एक राखी सिर्फ राखी नहीं होती — वह एक भावना होती है, एक यादगार होती है, जो सालों तक भाई की कलाई पर उसकी बहन के प्यार की निशानी बनकर रहती है। उन्होंने बताया कि इस बार उन्होंने ऐसे डिज़ाइनों पर फोकस किया है जो धार्मिक आस्था और ट्रेंडी अपील का अद्भुत मेल हों। धार्मिक प्रतीकों से सजी राखियाँ जैसे ‘ॐ नमः शिवाय’, ‘जय श्रीराम’, ‘जय श्री कृष्ण’, ‘स्वस्तिक’, ‘शिवाजी महाराज’, ‘गणेश जी की मुद्राएँ’ आदि खूब पसंद की जा रही हैं।

वहीं युवा वर्ग को ध्यान में रखते हुए आधुनिक डिज़ाइनों में ‘डायमंड BRO’, ‘बेस्ट BRO’, ‘हाईफाई BRO’, ‘सिंघम ब्रदर’, ‘क्रिश’, ‘मिक्की माउस’, ‘आई हार्ट BRO’ और ‘डोरमैन कंप्यूटर राखी’ जैसी वैरायटी भी उपलब्ध हैं। इन राखियों की कीमतें भी ग्राहकों की पहुंच में हैं। चांदी की राखियाँ ₹500 से ₹3,000 तक, सोने की राखियाँ ₹7,000 से ₹50,000 तक और डायमंड राखियाँ विशेष ऑर्डर पर ₹20,000 से ₹2 लाख तक उपलब्ध हैं।

रक्षाबंधन के इस सीज़न में एक नया ट्रेंड जो जोर पकड़ रहा है, वह है “रिटर्न गिफ्ट कॉम्बो” का। अब बहनें केवल राखी ही नहीं खरीदतीं, बल्कि राखी के साथ भाई के लिए कोई छोटा-सा सोने का लॉकेट, अंगूठी, पेंडेंट, चेन या चांदी की की-चेन भी उपहार में देने की योजना बनाती हैं। यह उपहार कॉम्बो ₹500 से ₹2 लाख तक की रेंज में मौजूद है, और हर गिफ्ट एक व्यक्तिगत भावनात्मक टच लिए होता है।

रिटर्न गिफ्ट कॉम्बो की सबसे खास बात यह है कि यह भाई-बहन के रिश्ते को एक नई परिभाषा देता है — एक ऐसा उपहार जो एक-दूसरे की याद हमेशा ताजा रखे। बाजार के कई दुकानदारों ने बताया कि लड़कियां अब खुद इन गिफ्ट्स को अपनी पॉकेट मनी से खरीदती हैं, और इसमें उन्हें आत्मगौरव महसूस होता है।

“आनंदी क्रिएटिविटी” की संचालिका ऋतु ने बताया कि इस बार उन्होंने विशेष रूप से “कस्टम राखियाँ” तैयार की हैं। इनमें भाई का नाम, फोटो, या मनपसंद कोई प्रतीक चिह्न भी डलवाया जा सकता है। उनका कहना है कि आजकल बहनें राखी को सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि एक व्यक्तिगत भावनात्मक उपहार मानती हैं। यही वजह है कि कस्टम राखियों की डिमांड इस बार खूब देखी जा रही है।

सोने और चांदी की राखियों को लखनऊ के बाज़ार में लाने का श्रेय भी विनोद ज्वेलर्स को जाता है। विनोद महेश्वरी बताते हैं कि हर साल वे कुछ नया करने की कोशिश करते हैं, जिससे बाजार में कुछ अलग पेश किया जा सके और भाई-बहन के रिश्ते को और सजीव बनाया जा सके। उनका कहना है कि “हम सिर्फ आभूषण नहीं बेचते, हम रिश्ते सजाते हैं।”

ऑफलाइन के साथ-साथ अब ऑनलाइन बुकिंग का दौर भी बाजार में दिखने लगा है। चौक के कई नामचीन ज्वेलर्स ने इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के ज़रिए अपनी डिज़ाइनों की गैलरी जारी कर दी है। ग्राहक अब घर बैठे ही राखियाँ बुक कर सकते हैं और डिलीवरी सीधे घर पर पा सकते हैं। इससे खास तौर पर वे लोग लाभान्वित हो रहे हैं जो किसी कारणवश बाजार तक नहीं आ सकते।

एक और बात जो इस बार ग्राहकों को आश्वस्त कर रही है, वह है उत्पाद की गुणवत्ता और प्रमाणिकता। प्रत्येक राखी के साथ उसका वजन, धातु की शुद्धता और हॉलमार्क का प्रमाण पत्र भी दिया जा रहा है। डायमंड राखियों के साथ IGI सर्टिफिकेट अनिवार्य है, वहीं सोने और चांदी की राखियों पर BIS हॉलमार्क होता है।

रक्षाबंधन का त्योहार भले ही हर साल आता है, लेकिन चौक सराफा जैसे बाजार इसे हर बार एक नई पहचान देने का प्रयास करते हैं। राखियाँ केवल धागा नहीं होतीं, वे विश्वास, प्रेम और सुरक्षा की धरोहर होती हैं। जब बहन अपने भाई की कलाई पर सोने या चांदी की राखी बाँधती है, तो वह उस बंधन को और भी पक्का कर देती है — एक ऐसा बंधन जो समय की कसौटी पर खरा उतरता है।