अमर भारती : दिल्ली में एम्स अस्पताल के बाहर डॉक्टरों का चिकित्सीय संगठनों का राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) बिल को लेकर विरोध कायम है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने यह तय कर लिया था कि सोमवार को एम्स में सुबह 8 बजे करीब पांच हजार डॉक्टरों के साथ मिलकर बिल के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।
सूत्रो के अनुसार, अगर यह बिल पास हो जाता है तो हजारों मांओं और बच्चों का जीवन तबाह हो सकता है। इससे पहले रविवार को भी एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों ने विधेयक को लेकर वार्ड से आईसीयू तक में विरोध जताया था।
हालांकि दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की इस बिल को लेकर एक अलग सोच है। डीएमए अध्यक्ष डॉ. गिरीश त्यागी का मानना है कि विधेयक के अनुसार चार अलग-अलग बोर्ड होने से चिकित्सीय क्षेत्र में काफी हद तक पारदर्शिता आएगी और काम का बोझ भी कम होगा। उनका कहना है कि इसमें बस यही कमी है कि कोई छात्र एक बार एग्जिट परीक्षा नहीं दे पाया तो उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं होगा।
आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शांतनु सेन का कहना है कि विधेयक के अधिनियम 32 में 3.5 लाख में नॉन मेडिकल शख्स को लाइसेंस देकर सभी प्रकार की दवा लिखने व इलाज करने का कानूनी अधिकार दिया जा रहा है। आगर ऐसा होता है तो ये आगे चल कर इलाज कराने आए लोगों के लिए खतरा बन सकता है।