अमर भारती :उच्चतम न्यायालय ने हथिनी लक्ष्मी को कथित गैरकानूनी हिरासत से रिहा करने संबंधी उसके महावत की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका बृहस्पतिवार को स्वीकार नहीं की। प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे ने अचरज जताया कि एक हथिनी के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सनुवाई कैसे की जा सकती है। न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी पीठ का हिस्सा हैं। पीठ ने पूछा, हथिनी क्या भारत की नागरिक है।
याचिका 47 वर्षीय हथिनी के महावत सद्दाम ने दायर की और हथिनी की रिहाई की मांग की। पिछले वर्ष जुलाई माह में हथिनी लक्ष्मी लापता हो गई थी और उसका पता लगाने के लिए देशभर में अलर्ट जारी किया गया था। दो महीने बाद दिल्ली वन विभाग को हथिनी मिली थी। पिछले वर्ष सितंबर में पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी के यमुना पुश्ता क्षेत्र से लक्ष्मी और उसके महावत को ‘हिरासत’ में लिया था।