कोरोना की रफ्तार तेज

#जब भारत में कोरोना का पहला मामला इस साल 30 जनवरी को आया था, तब शायद ही किसी ने यह सोचा होगा कि भारत एक दिन संक्रमितों के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। मंगलवार को देश में कुल संक्रमितों का आंकड़ा सात लाख से ऊपर पहुंच गया और मृतकों की संख्या भी बढ़कर २०,१६० पर पहुंच गयी। पिछले पांच दिनों में संक्रमितों की संख्या में डेढ़ लाख की वृद्धि हुई है। हालांकि भारत को इस स्थान पर पहुंचने में लंबा वक्त लगा, लेकिन अब जिस रफ्तार से इसके मामले बढ़ रहे हैं, वह चिंता पैदा करने वाली है। चीन में कोरोना महामारी के उभार के बाद यूरोप इससे सबसे ज्यादा पीडि़त रहा, लेकिन समय के साथ स्थिति बदलती गई। अभी पश्चिमी देशों में एकमात्र अमेरिका ऐसा देश है, जो पिछले तीन महीनों से दुनिया के पांच बड़े कोरोना संक्रमित देशों में अपना स्थान बनाए हुए है, लेकिन वैश्विक स्तर पर इसकी भी हिस्सेदारी घट रही है। इसी तरह रूस की भी हिस्सेदारी घटी है। अब रूस को पछाड़ कर भारत तीसरे स्थान पर आ गया है। यह प्रवृत्ति इस बात का संकेत है कि कालक्रम से कोरोना दुनिया के अल्प एवं मध्यम आय वाले देशों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। भारत के साथ ब्राजील में कोरोना के मामलों का बढऩा इसी तरफ इशारा करता करता है।

वैश्विक स्तर पर प्रति दिन औसतन मामले जरूर बढ़ रहे हैं, लेकिन इसी दौरान अच्छी खबरें भी आ रही हैं। इस वैश्विक बीमारी से मरने वालों की औसत संख्या में कमी आ रही है। अगर भारत के संदर्भ में देखा जाए, तो कोरोना मामलों में बढ़ोतरी के बावजूद इसकी वृद्धि दर में कमी आई है, हालांकि वह अपेक्षा के अनुरूप नहीं है, इसमें और कमी आनी चाहिए थी। इसी तरह अगर मृत्यु के आंकड़ों पर नजर डाली जाए, तो दस लाख की आबादी पर भारत में औसत मृत्यु दर अमेरिका, ब्राजील और रूस से काफी कम है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि लॉकडाउन ने कोरोना की रफ्तार को थामने में मदद की है। इसे इस बात का श्रेय दिया जा सकता है कि इससे भारत में स्वास्थ्य संबंधी आधारभूत सुविधा की व्यवस्था करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को समय मिल गया। इसके बावजूद सतर्कता और दिशा-निर्देशों का ईमानदारी से अनुपालन ही कोरोना से बचाव का सबसे बड़ा हथियार और विकल्प है। जो लोग लापरवाह हैं प्रशासन ने उनके लिए दण्ड की व्यवस्था की है जिससे कि दूसरे लोगों को भी नसीहत मिले। वैसे आत्म अनुशासन का मार्ग ही श्रेयस्कर है, जिसका अनुपालन किया जाना चाहिए। अगर कोरोना महामारी को हल्के में लिया गया और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया गया, तो मुसीबत बढ़ सकती है। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसके प्रति देश को आगाह कर चुके हैं। जो भी हो, कोरोना से राहत तभी मिल पाएगी, जब इसका टीका तैयार होने के बाद सभी के लिए सुलभ होगा। सुखद बात यह है कि भारत भी इसका टीका तैयार करने की दौड़ में शामिल है।