पटना. बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले ही सियासी उठापटक शुरू हो गई है। आज (रविवार, 16 अगस्त) बिहार सरकार के उद्योग मंत्री श्याम रजक को JDU ने पार्टी से निकाल दिया है।
बताया जा रहा है कि रजक सोमवार को अपने मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले थे। पार्टी आला कमान को जैसे ही जानकारी लगी कि वे पार्टी छोड़ने वाले हैं, इसके बाद यह कार्रवाई की गई है। वहीं आरजेडी ने पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल तीन विधायकों को पार्टी से निष्कासित कर दिया है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार की सहमति के बाद JDU के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने यह आदेश जारी किया है। पार्टी से निकाले जाने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने श्याम रजक को मंत्रिमंडल से भी बर्खास्त कर दिया है।
सीएम नीतीश ने बर्खास्तगी की सिफारिश राज्यपाल से कर दी है। सूत्रों का कहना है कि श्याम रजक राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में शामिल हो सकते हैं। काफी पहले से ही श्याम रजक के RJD में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि अभी तक इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
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राम-श्याम की जोड़ी की चर्चा
रजक पहले राजद में ही थे। उस समय उनकी गिनती लालू प्रसाद के सबसे करीबी नेताओं में होती थी। रामकृपाल यादव भी तब राजद में थे और लालू प्रसाद के काफी करीब थे। लिहाजा राजद में राम-श्याम की जोड़ी की चर्चा हर जगह होती थी, लेकिन श्याम रजक अचानक जदयू में चले गए।
अब फिर बताया जा रहा है कि जदयू में रजक सहज नहीं महसूस कर रहे हैं। लिहाजा उनके राजद में जाने की अटकलें तेज हो गई हैं।
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पुराने घर में लौट सकते हैं रजक
उधर श्याम रजक ने इस संबंध में पूछे जाने पर साफ कहा कि मैं आपकी इस सूचना का न तो समर्थन कर सकता हूं और न ही खंडन। उनके इस जवाब में भी कहीं ना कहीं नाराजगी दिख रही है। राजनीतिक हलकों में चर्चा को सही मानें तो उद्योग मंत्री एक-दो दिन में ही पुराने घर में लौट सकते हैं।
रजक एनडीए सरकार में दूसरी बार मंत्री बने हैं। पहली बार राजद से 1995 में विधायक बने थे। अब तक वह छह बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। जबसे संसदीय राजनीति में उन्होंने कदम रखा है बहुत कम दिन मंत्री पद से अलग रहे हैं।
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सरकार में भी थे मंत्री
राजद की सत्ता जाने और पार्टी से मोह भंग होने के बाद श्याम रजक 2009 में जेडीयू में शामिल हो गए थे। रजक 2010 में जेडीयू के कोटे से विधायक और फिर मंत्री बने थे, लेकिन जब रजक 2015 में महागठबंधन से विधायक बने तो उनको नीतीश सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया था।
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सियासी उठापटक की संभावना
विधानसभा चुनाव के दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राज्य में सियासी उठापटक की संभावना बन रही है। एनडीए की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने भी शुक्रवार को नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार से अपना समर्थन वापस लेने के संकेत दिए हैं।
लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने शुक्रवार देर रात पूर्व सांसद और जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव से मुलाकात की और दोनों के बीच चार घंटे तक बातचीत हुई।
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पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल 3 विधायकों को निकाला
वहीं, आरजेडी ने पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल तीन विधायकों को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। रविवार को आरजेडी ने प्रदेश कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें प्रदेश प्राधन महासचिव आलोक मेहता ने बताया कि गायघाट के विधायक महेश्वर यादव, केवटी के विधायक फराज फातमी और वैशाली के पातेपुर की विधायिका प्रेमा चौधरी को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया जा रहा है।
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तीनों विधायकों को 6 साल के लिए निकाला
प्रदेश प्रधान महासचिव आलोक मेहता ने कहा कि तीनों विधायकों पर पार्टी और संविधान की धारा 33 के खंड 5(क) और (ख) के उल्लंघन करने का आरोप है। इसलिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के निर्देश पर इन विधायकों को पार्टी से 6 सालों के लिए निष्कासित किया जाता है।
आलोक मेहता ने कहा कि पार्टी के सिद्धान्तों के खिलाफ बयान और गतिविधियों के आधार पर उन्हें निष्कासित किया गया है। उन्होंने पार्टी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है।
वहीं उनके जेडीयू में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसी बात होती तो हमारे पास सूचना जरूर होती। 14 अगस्त को ही यह फैसला ले लिया गया था और इस संबंध में उन्हें सूचना दे दी गई थी। आज केवल आधिकारिक घोषणा हुई है।