नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर हुए 12वें दौर की बातचीत के सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं। 12वें राउंड की बातचीत के बाद दोनों देश अपनी सेना को लद्दाख के गोगरा से पीछे हटने के लिए मान गए हैं। इसके साथ ही दोनों पक्षों द्वारा निर्मित सभी अस्थायी ढांचों को भी नष्ट कर दिया गया है और परस्पर तरीके से इसे सत्यापित किया गया है। दोनों देशों के बीच यह 12वें दौर की बातचीत करीब तीन महीने से भी ज्यादा समय के अंतराल के बाद हुई है।
दोनों पक्ष शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध
भारतीय सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि समझौते के तहत LAC के इस इलाके की सख्ती से निगरानी की जाएगी और दोनों पक्ष इसका सम्मान करेंगे। यथास्थिति को एक तरफा नहीं बदला जाएगा। सेना ने कहा कि इसके साथ ही एक और संवेदनशील इलाके में टकराव खत्म कर दिया गया है। दोनों पक्षों ने बातचीत को आगे बढ़ाने और वेस्टर्न सेक्टर में एलएसी के बाकी मुद्दों को सुलझाने की प्रतिबद्धता जताई है। बयान में कहा गया है कि भारतीय सेना और आईटीबीपी देश की संप्रभुता और LAC पर शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
पिछले साल से दोनों देशों में तनाव का माहौल
बता दें कि पिछले साल मई में भारत और चीन इसी जगह पर आमने-सामने आए थे। जिसके बाद दोनों देशों में बातचीत शुरु हुई और दोनों ने इस क्षेत्र से पीछे हटने का फैसला किया। समझौते के अनुसार भारतीय और चीनी पक्ष ने गोगरा में अग्रिम मोर्चे पर सैनिकों की तैनातियों को चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके से इस इलाके में सेना की भर्ती को रोका है। इससे पहले फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से चीन पीछे हटा था। भारत और चीन के सैनिक पिछले साल अप्रैल से ही पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में आमने-सामने थे और जून में हिंसक झड़प भी हुई थी।