लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अध्यादेश के कानून बनने के आधार पर याचिका खारिज की. इसके साथ कोर्ट ने धर्मांतरण कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है.
चार अलग-अलग याचिकाओं पर चुनौती
अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने अदालत में सरकार की ओर से पक्ष रखा. धर्मांतरण अध्यादेश को चार अलग-अलग याचिकाओं में चुनौती दी गई थी. जस्टिस एम एन भंडारी और जस्टिस अजय त्यागी की खंडपीठ ने ये आदेश दिया.
मुख्य न्यायाधीश संजय यादव और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा ने अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा कि अगली तारीख से पहले मामले में दलीलें पूरी कर ली जाएं। मामले पर फिर से 2 अगस्त को कोर्ट में सुनवाई होगी.
बता दें कि इसी साल फरवरी में उत्तर प्रदेश विधानसभा में धर्म परिवर्तन विधेयक पास हो गया. इस कानून के मुताबिक, अगर आपने किसी के साथ जबरन धर्म परिवर्तन किया या करवाया तो इस विधेयक के मुताबिक 10 साल तक की सजा का प्रावधान है. इसके अलावा इस जुर्म में आपको 50 हजार रुपयों का जुर्माना भी देना होगा