तानाशाह से लेकर पप्पू जैसे शब्दों पर रोक, मध्यप्रदेश विधानसभा में लिया गया फैसला

1500 से अधिक असंसदीय शब्दों को विधानसभा में नहीं मिलेगी जगह

नई दिल्ली। मध्यप्रदेश विधानसभा का मॉनसून सत्र सोमवार से शुरू होना है। ऐसे में विधानसभा की चार दीवारी में इस्तेमाल किए जाने वाली शब्दावली को स्पष्ट करने को लेकर विधानसभा में असंसदीय शब्दों के संग्रह की 38 पन्नों की बुकलेट तैयार की गई है। जिसमें स्पष्ट रूप से करीब 1500 से अधिक असंसदीय शब्दों को जगह दी हैं। जिन्हें विधानसभा की चौखट के बाहर रखा जाना विधानसभा की मर्यादा के अंदर होगा। इन शब्दों में शामिल है- तानाशाह, फेंकू, पप्पू, गोबर गणेश, चमचा, बंधुआ मजदूर, इत्यादी।

1954 से चल रहा काम

राज्य की विधानसभा 1954 से ऐसे शब्दों को संग्रहित कर रही थी। अब तक संग्रह किए हुए शब्दों को एक जगह इकट्ठा कर एक पुस्तक का रूप दिया गया है। जानकारी के मुताबिक सचिवालय ने 1954 से अब तक सदन में माननीयों द्वारा प्रयोग किए गए 1 हजार 161 ऐसे शब्द/वाक्यों को कार्रवाई से हटाने का फैसला किया है, जिन्हें असंसदीय घोषित किया गया है।

अध्यक्ष ने की पहल

मध्यप्रदेश विधानसभा के नए अध्यक्ष गिरीश गौतम ने यह संग्रह किए हुए शब्दों को बुकलेट में तब्दील करने की पहल की है। इस पुस्तक का विमोचन, विधानसभा का मॉनसून सत्र शुरू होने से पहले रविवार आठ अगस्त को हुआ। इस पहल का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि- ‘विधानसभा सत्र की कार्यवाही देखने स्कूल और कॉलेज के बच्चे भी आते हैं, सदन का माहौल एवं शब्दों का चयन उन्हें निराश करता है।’

शबदों पर एक नज़र

जिन शब्दों को असंसदीय घोषित कर सदन के अंदर आने की अनुमति नहीं दी गई हैं, उनमें मिस्टर बंटाधार (पूर्व मुख्यमंत्री दिग्वजय सिंह के लिए बीजेपी के सदस्यों द्वारा कई बार इस्तेमाल किया गया शब्द), पप्पू (राहुल गांधी पर कटाक्ष करने के लिए इस्तेमाल किया गया शब्द), मामू (मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के लिए कांग्रेस सदस्यों द्वारा इस्तेमाल किया गया शब्द), मंदबुद्धि, झूठा, चोर, उचक्का, 420, झूठ, चोर, बकवास, भ्रष्ट, शैतान जैसे शब्द शामिल है। जो अब सदन की कार्यवार्ई का हिस्सा नहीं बन पाएंगे।

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