
हरदोई। आठ दिन से लापता भाजपा बूथ अध्यक्ष शैलेंद्र पांडेय गौरी का शव 9वें दिन तालाब से बरामद होने के बाद पुलिस जांच का रुख बदल गया है। डॉक्टरों के पैनल ने रातभर निगरानी और वीडियोग्राफी के बीच पोस्टमार्टम किया। रिपोर्ट के अनुसार शरीर पर किसी भी चोट या खरोंच के निशान नहीं पाए गए और मौत का कारण पानी में डूबना बताया गया। इससे हत्या और मारपीट की संभावना को डॉक्टरों ने नकार दिया है।
पुलिस और जिला प्रशासन की मौजूदगी में आधी रात को पोस्टमार्टम कराया गया। तीन डॉक्टरों के पैनल ने बेहद बारीकी से परीक्षण किया। न तो बाहरी चोट के निशान मिले और न ही अंदरूनी फ्रैक्चर या गंभीर चोट। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि बूथ अध्यक्ष की मौत पानी में डूबने से हुई।
डॉक्टरों ने एहतियातन बिसरा और फेफड़ों का सैंपल संरक्षित कर लिया है, जिन्हें फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि कहीं मौत से पहले किसी जहरीले पदार्थ का सेवन तो नहीं कराया गया था। फिलहाल अंतिम निष्कर्ष इन्हीं रिपोर्टों के बाद सामने आएगा।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुलिस जांच को नया मोड़ दिया है। शैलेंद्र पांडेय 8 दिन तक लापता रहे और 9वें दिन उनका शव मिला। डॉक्टरों का कहना है कि शव करीब 5–6 दिन पुराना है। इसका मतलब यह हुआ कि गायब होने के पहले तीन दिन तक वे कहीं जीवित थे। अब यह सवाल सबसे अहम है कि आखिर उन तीन दिनों में वे कहाँ रहे और किन परिस्थितियों में उनकी मौत हुई।
पुलिस के सामने भी नई चुनौती खड़ी हो गई है। अधिकारियों का कहना है कि मामले की गहराई से जांच की जा रही है। बूथ अध्यक्ष की मोबाइल लोकेशन और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) खंगाले जा रहे हैं। तालाब के आसपास के CCTV फुटेज और गवाहों के बयान भी जुटाए जा रहे हैं। यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि गायब होने के शुरुआती दिनों में वे किन-किन लोगों से मिले थे।
इधर, परिवार का आरोप है कि शैलेंद्र पांडेय का अपहरण हुआ और उन्हें मारकर तालाब में फेंका गया। हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने हत्या के दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजन अब विसरा रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं और साफ कह रहे हैं कि जब तक सभी जांच रिपोर्ट नहीं आतीं, वे इसे हत्या ही मानेंगे।
घटना से सियासी सरगर्मी भी तेज हो गई है। भाजपा कार्यकर्ता और स्थानीय नेता लगातार पुलिस पर दबाव बना रहे हैं कि इस रहस्यमयी मौत की सच्चाई सामने लाई जाए। वहीं विपक्ष भी कानून-व्यवस्था को मुद्दा बनाकर सरकार पर सवाल उठा रहा है।