कांग्रेस ने बिहार में आरजेडी के साथ तोड़ा गठबंधन, ताल-मेल नहीं बैठ पाने को लेकर लिया फैसला

2024 लोक सभा चुनाव में बिहार की सभी सीटों पर लड़ेगी कांग्रेस

RJD Congress alliance collapsed in bihar

नई दिल्ली। अपने सहयोगी दलों के साथ ख़ास रिश्ते नहीं निभा पाने वाली कांग्रेस ने अब बिहार की मज़बूत विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ अपने गठबंधन को ख़त्म करने का एलान कर दिया है। दरअसल बिहार की राजनीति में कांग्रेस और आरजेडी के रिश्तों के बीच कड़वाहट तब आई। जब कुछ दिन पहले दो सीटों- कुशेश्वर आस्थान और तारापुर सीट पर उपचुनाव के लिए आरजेडी ने अपने उम्मीदवारों का एलान कर दिया था। जबकि कांग्रेस के मुताबिक उसने पहले ही एलान किया था कि कुशेश्वर आस्थान सीट पर वह चुनाव लड़ेगी। उसका कहना था कि 2020 के विधानसभा चुनाव में यह सीट महागठबंधन के सीट बंटवारे में उसके खाते में गई थी। साथ ही कांग्रेस ने एलान किया है कि कांग्रेस आगामी, साल 2024 में होने वाले लोक सभा चुनावों में बिहार की सभी 40 सीटों पर वह अकेले चुनाव लड़ेगी।

कन्हैया के कांग्रेस में आने से मज़बूत हुई पार्टी

बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास ने उम्मीद जताई कि जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने से बिहार में कांग्रेस मज़बूत होगी। उन्होंने कहा कि कन्हैया बिहार के ऊर्जावान नेता के रूप में सामने आएंगे। राजनीतिक गलियारों में इस तरह की चर्चा है कि कन्हैया के कांग्रेस में शामिल होने से आरजेडी ख़ुश नहीं है। और इसके बाद से ही दोनों दलों के बीच खटपट शुरू हो गयी थी।

असम में भी तोड़ा था गठबंधन

कांग्रेस ने हाल ही में असम में अपने सहयोगी दल ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के साथ गठबंधन तोड़ दिया था। आरजेडी के साथ भी गठबंधन तोड़ने के बाद कांग्रेस के पास ग़िने-चुने मजबूत सहयोगी रह गए हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव में डुबा दी थी नांव

कांग्रेस पार्टी राष्ट्र्रीय पार्टी होने की वजह से भले ही अपने सहयोगी दलों के सामने न झुके। लेकिन कहा जाता है कि साल 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी की नांव डुबाने वाली कांग्रेस ही थी। आपको बता दें कि, बिहार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे सिर्फ़ 19 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि वाम दलों ने 29 सीटों पर चुनाव लड़कर 16 सीटें झटक ली थी। तब कांग्रेस की इस बात के लिए ख़ूब आलोचना हुई थी कि उसके ख़राब प्रदर्शन के कारण ही बिहार में आरजेडी और तमाम सहयोगी दल की नांव विपक्ष से सत्ता की गलियों तक नहीं पहुंक पाई।

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