अमर भारती : राजधानी दिल्ली में सीवर में होने वाली मौतों पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अब सख्ती दिखाई है। दरअसल अब हाईकोर्ट की तरफ से दिल्ली सरकार व विभागों को स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि क्या वह सीवर अथवा सेप्टिक टैंक की सफाई मानवीकृत तरीके से करवाते हैं।
बता दें कि न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार, स्थानीय निकायों, दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली छावनी परिषद, लोक निर्माण विभाग व सरकारी एजेंसियों को फटकार लगाते हुए कहा कि दो सप्ताह में हलफनामा पेश कर बताएं कि मानवीकृत रूप से मैला साफ करने को रोकने वाले कानून प्रोहिबिशेन ऑफ मैन्युअल स्केवेंजर्स एंड देयर रिहेबीलिटेशन को लागू करने के लिए कदम उठाए गए हैं और अब तक सीवर व टैंक साफ करने के लिए सफाई कर्मियों को क्यों भाड़े पर लिया जाता है।
खंडपीठ ने कहा कि मानवीकृत तरीके से सीवर की सफाई होने से लोग मर रहे हैं और संबंधित विभाग व अधिकारी संबंधित कानून को लागू नहीं कर रहे हैं। अगर मौतें हो रही हैं तो किसी को तो जेल जाना होगा।
हाईकोर्ट ने यह नाराजगी मानवीकृत तरीके से मैला साफ करने वालों के पुनर्वास के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए की है। कोर्ट ने इससे पहले इस परंपरा को बेहद अपमानजनक बताते हुए कहा था कि कानून मौजूद होने के बाद भी इसका लगातार होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। पेश याचिका अधिवक्ता अमित साहनी ने दायर की है।
याची ने 2013 में बने कानून को लागू करने का निर्देश दिल्ली सरकार को देने का अनुरोध किया है। याची के वकील एन हरी हरन ने कोर्ट को बताया कि अगर सरकार इस कानून को सही तरह लागू करती है तो सीवर से होने वाली मौहतें रुक सकती है।