नई दिल्ली। पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की ग्रे लिस्ट में शामिल है। इसके बावजूद भी पाकिस्तान आतंकी समूहों को लेकर कम चिंतित दिखाई दे रहा है। अफगान तालिबान, हक्कानी नेटवर्क लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद, फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन, अल कायदा और इस्लामिक स्टेट ऐसे आतंकवादी समूह है जिन के खिलाफ पाकिस्तान को कार्यवाही करने की ज़रूरत है। लेकिन पाकिस्तान कार्यवाही करने में नाकाम साबित हो रहा है। क्योंकि वह हमेशा से ही आतंकवादी समूहों को पनाह देता आया है जिन पर एफएटीएफ एक्शन लेना चाहता है।
आतंकवाद को रोकने में कमियां
बात की जाए पिछले महीने की तो एफएटीएफ ने इन समूहों को रोकने के लिए काफी जोर दिया। आतंकवाद को रोकने के लिए पाकिस्तान ने जो फैसले लिए थे एफएटीएफ ने उन फैसलों में बड़ी कमियों का जिक्र किया था।
एफएटीएफ ने बैठक के अंत में कहा था कि “एफएटीएफ पाकिस्तान को प्रोत्साहित करता है कि वह जितनी जल्दी हो सके सीएफटी (आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण) से संबंधित आइटम को संबोधित करने के लिए काम जारी रखे।”एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में आतंकवाद के इन समूहों के जो नेता है उनके के खिलाफ कार्रवाई करने की इच्छा ही नहीं दिखा रहा है।
सज़ा देने की दिशा में काम करना बाक़ी
एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर ने कहा था कि “पाकिस्तान को जो सुझाव दिए गए थे उनमें उसने काफी प्रगति की है और 27 में से 26 शर्तों को पूरा किया है। लेकिन अभी उसे आतंकवादियों को ज़िम्मेदार ठहराने और उन्हें सज़ा देने की दिशा में काम करना बाक़ी है।”
स्थिति की करेंगे समीक्षा
उन्होंने आगे कहा कि “पाकिस्तान अब भी ‘इन्क्रीज़्ड मॉनिटरिंग लिस्ट’ में बना रहेगा। ‘इन्क्रीज़्ड मॉनिटरिंग लिस्ट’ को ही ग्रे लिस्ट कहा जाता है। उन्होंने आतंकवाद पर अंकुश लगाने को लेकर पाकिस्तान सरकार की प्रतिबद्धता की तारीफ की और कहा कि चार महीनों बाद इसी साल अक्तूबर में वो एक बार फिर स्थिति की समीक्षा करेंगे।”