क्या आप दिल्ली की इन 10 भूतिया जगहों पर जाना चाहते है ?

नई दिल्ली। आज हम आप को दिल्ली की उन 10 जगहों के बारे में बताये गे। जिनके बारे में कहा जाता है की यहाँ पर आज भी भूतों, आत्माओं या कोई अदृश्य शक्तियो का निवास है। इन जगहों पर रात में जाने की हिम्मत बहुत कम लोग ही जुटा पाते है।

मालचा महल

मालचा महल दिल्ली के दक्षिण रिज़ के बीहड़ो में छुपा है। इसका निर्माण आज से 700 साल पहले फ़िरोज़ शाह तुगलक ने करवाया था। वो इसे अपनी शिकारगाह के रूप इस्तमाल करते थे। यह महल पिछले कई सदियों से वीरान रहने के कारण खंडहर हो चुका था। इस खंडहर हो चुके महल में 1985 में, अवध घराने की बेगम विलायत महल अपने दो बच्चो, पांच नौकरो और 12 कुत्तो के साथ रहने आई। इस महल में आये बाद वो कभी इस महल से बाहर नहीं निकली। इसी महल में बेगम विलायत खान ने 10 सितम्बर 1993 को आत्महत्या कर ली थी। कहते है की बेगम की रूह आज भी उसी महल में भटकती है।

ख़ूनी नदी, रोहिणी

रोहिणी के इलाके से बहती इस नदी के बारे में चर्चित है कि जो भी इस नदी के सम्पर्क में आता है, ये नदी उसका ख़ून चूस लेती है। हालांकि कम शोरगुल वाले इस इलाके में वैसे भी नदी के पास कोई नही आता। कारण, नदी के किनारे लाश मिलना। हत्या, आत्महत्या, दुर्घटना कारण चाहे जो हो, यहां नदी किनारे लाशें मिलना आम बात हो गई है। यही कारण है कि लोग इसे डरावनी जगहों में शुमार करते हैं।

संजय वन

किशनगढ़ और महरौली के नजदीक साउथ दिल्ली के बीचों-बीच बसे इस लगभग 10 किलोमीटर के जंगल ट्रेल में भरपूर हरियाली है। इस इलाके में बच्चों की आत्माएं होने का दावा किया गया है। लोगों का कहना है कि यहां उन्होंने बच्चों की चीख-पुकार की आवाजें सुनी हैं।

म्यूटिनी हाउस,

यह स्मारक 1857 में मारे गए सिपाहियों की याद में अंग्रेजों ने बनवाया था। हां, यादें और साए अभी भी इस इमारत के आसपास रहते हैं। इसलिए इसे डरावना माना जाता है।

भूली भतियारी का महल

यह महल किसी ज़माने में तुगलक वंश का शिकारगाह हुआ करता था। इस महल का नाम “भूली भतियारी”, इसकी देखभाल करने वाली महिला के नाम पर पड़ा है। अंधेरा होना के बाद यहां परिंदा भी पर नहीं मारता। अक्सर सुनाई देने वाली अजीबोगरीब आवाजें यहां माहौल को और डरावना बना देते हैं।

करबला कब्रिस्तान

जैसा नाम, वैसा कब्रिस्तान। फिल्मी कब्रिस्तान की तरह यहां भी साये दिखने और उनकी हरकतों के गवाह है आसपास के लोग।

जमाली-कमाली का मकबरा और मस्जिद

यह मस्जिद दिल्ली के महरौली में स्थित है। यहां सोलवहीं शताब्दी के सूफी संत जमाली और कमाली की कब्र मौजूद है। इस जगह के बारे में लोगों का विश्वास है कि यहां जिन्न रहते हैं। कई लोगों को इस जगह पर डरावने अनुभव हुए हैं। सूफी संत जमाली लोधी हुकूमत के राज कवि थे। इसके बाद बाबर और उनके बेटे हुमायूं के राज तक जमाली को काफी तवज्जो दी गई। माना जाता है कि जमाली के मकबरे का निर्माण हुमायूं के राज के दौरान पूरा किया गया। मकबरे में दो संगमरमर की कब्र हैं, एक जमाली की और दूसरी कमाली की। जमाली कमाली मस्जिद का निर्माण 1528-29 में किया गया था। यह मस्जिद लाल पत्थर और संगमरमर से बनी है।

खूनी दरवाजा

यहीं बहादुर शाह जफर के तीन बेटों को अंग्रेजों ने मार डाला था। कहते हैं, तभी से तीनों शहज़ादे इसी इलाके में साया बनकर मौजूद रहते हैं।

हाउस नम्बर W -3, ग्रेटर कैलाश-1

एक बुजुर्ग दम्पति की हत्या इस मकान में कर दी गई थी, और इसकेबाद उनके मृत शरीर को वहीं की टंकी से महीने बाद बरामद किया गया। आस-पास रह रहे लोगों ने वहां से किसी के रोने और चीखने-चिल्लाने की आवाजें कई बार सुनी है। इस मकान में अब कोई नहीं रहता और इसे भुतहा घोषित कर दिया है।

द्वारका (सेक्टर-9), मेट्रो स्टेशन

नाइट शिफ्ट में काम करने वाले कॉल सेंटर के लोगों की शिकायत है कि इस इलाके मे लोगों को थप्पड़ पड़ते हैं। साथ ही वे बताते हैं कि उनके कैब के आगे एक औरत आ जाती है जो तेज रफ्तार से आगे-आगे दौडऩे के बाद गायब हो जाती है। अब इसे जानने के बाद, शायद आप इस इलाके में तेज नहीं चलेंगे।