इस वजह के चलते दिल्ली में सरकारी कर्मचारियों की सेवा समाप्त

अमर भारती : भ्रष्टाचार को लेकर दिल्ली में पहली बार कोई बड़ा कदम लिया गया है। भ्रष्टाचार में दागी व काम में लापरवाही बरतने वाले 108 सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्त करने का आदेश उपराज्यपाल ने दिया है। इसमें डीडीए, एमसीडी व दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभागों के अधिकारी व कर्मचारी शामिल हैं। एफआर-56 (जे) के सीसीएस (पेंशन) नियम- 48 के तहत यह आदेश जारी किया गया है।

दरअसल इस आदेश के बाद से तीनों निगमों से 61 अधिकारियों व कर्मचारियों को काम से हटा दिया गया है। इसमें 13 ए-श्रेणी के अधिकारी शामिल हैं। इसमें से 10 उत्तरी दिल्ली नगर निगम के समक्ष आते हैं। इसके अलावा दिल्ली सरकार के सेवा विभाग के 14 अधिकारियों को निकाला गया है।

जानकारी के अनुसार बीते 4 जुलाई को एफआर-56 (जे) नियम-48 के तहत उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार, डीडीए, एमसीडी समेत सभी स्वायत्तशासी संस्थाओं को आदेश दिया था कि वह अपने अधीन काम करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के काम की समीक्षा करें। इसका लक्ष्य विभागों के कामकाज में सुधार लाना था। इसके बाद विभागों ने अपने-अपने स्तर पर समीक्षा कमेटी बनाई थी।

बता दें कि कमेटियों की रिपोर्ट की मुख्य सचिव व उपराज्यपाल ने अपने स्तर पर समीक्षा की। इसके बाद बृहस्पतिवार को 108 अधिकारियों व कर्मचारियों की सेवा खत्म करने का निर्देश दिया गया था। उपराज्यपाल कार्यालय ने साफ कर दिया कि इस तरह की कार्रवाई आगे भी चल सकती है। इससे सरकारी दफ्तरों में कामकाजी माहौल बना रहेगा।

उपराज्यपाल ने कार्रवाई एफआर-56 (जे) एफआर-56 (1) और नियम 48 (1) (बी) के तहत सरकारी कर्मचारी (सीसीएस) पेंशन नियम-1972 के तहत की है। यह नियम संबंधित नियामक को अधिकार देता है कि वह अपने अधीन काम करने वाले प्राधिकारियों के कामकाज का मूल्यांकन कर दे सके।