इंटरव्यू के दौरान गन प्वाइंट पर था एंकर, AK47 के साथ खड़े थे 7-7 आतंकी

मीडिया को इंटरव्यू देते तालिबानी

नई दिल्ली। अमेरीका अब भी मानता है कि लादेन के मारे जाने से उसका बदला पूरा हो गया है, लेकिन तालिबान के अनुसार यह उनकी(अमेरीका) गलतफहमी थी। क्योंकि इन तस्वीरों से देखा जा सकता है कि तालिबान न बदला है और न ही बदलेगा। तालिबान भले ही खुद को बदलने का दिखावा करे, लेकिन सच्चाई आखिरकार कैमरे में कैद हो ही जाती हैं। हाल ही में बीते रविवार को तालिबान के एक और झूठ का पता चला। दरअसल, तालिबान आतंकी घटना को काबुल में एक टेलीविजन शो में दिखाया गया था जिसमे बंदूक की नोक पर इंटरव्यू हुआ था।

नजारा देखने वाले लोग दंग रह गए

अफगानिस्तान के एक न्यूज चैनल पर यह नजारा देखने वाले लोग दंग रह गए। दरअसल, इस स्टूडियो में एक तरफ एंकर और दूसरी तरफ तालिबान कमांडर कारी समीउल्लाह थे। हैरानी की बात यह है कि एंकर के पीछे कुछ आतंकी AK47 जैसे घातक हथियार लेकर खड़े थे। एंकर की कही हर बात आतंकवादी बहुत ध्यान से सुन रहे थे। आप भी देखें वायरल हो रहे वीडियो की एक झलक। वीडियो में दिख रहा था कि होस्ट के सवाल पूछने के बाद तालिबान कमांडर उसका जवाब दे रहा था। इस दौरान तीन आतंकी
टेलीविजन एंकर के पीछे खड़े हो गए और उनके पास हथियार भी थे। जब स्टूडियो में लगे एक कैमरे ने दो लोगों के सामान्य शॉट्स दिखाए, तो वहां एक या दो नहीं, बल्कि 7-7 आतंकवादी अलर्ट पर थे।

क्या AK47 शांति लाएगा?

अब आप कहेंगे कि इसमें क्या खास है। जाहिर है, तालिबान एक आतंकवादी संगठन है और वे जहां भी जाएंगे फूल या माल्यार्पण तो करेंगे नहीं, तो अगर आपको यह लग रहा है, तो आइए हम आपको इस वीडियो के बारे में अधिक जानकारी देते हैं। दरअसल तालिबान काबुल में न्यूज चैनल के कार्यक्रमों में शांति और सुरक्षा की बात करने आया था। वह जिस शो में हिस्सा लेने आए थे उसका नाम PEACE STUDIO था। PEACE का अर्थ है शांति, लेकिन इन अतिरंजित शांति में उन्होंने सार्वजनिक रूप से हथियारों का प्रदर्शन किया। ऐसे में सवाल यह है कि क्या तालिबान अब अफगानिस्तान में शांति लाने के
लिए AK47 का इस्तेमाल करेगा?

“तालिबान न बदला है, न बदलेगा”

इसका मतलब यह है कि तालिबान के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका अब तक मानता है कि ओसामा बिन लादेन को मारने के बाद, उसने अपना मिशन पूरा कर लिया है और तालिबान ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ उसकी भलाई के लिए एक समझौता किया है। यह एक गलतफहमी है। चूँकि तालिबान को इस पर विश्वास नहीं था, जहाँ तक स्वयं परिवर्तन का संबंध है, ऐसा लगता है कि इन छवियों के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ है ।दूसरे शब्दों में, तालिबान न तो बदला है और न ही बदलेगा। ये वही दो दशक हैं, यानी 20 साल पुराना तालिबान। अमेरिका ने भले ही इसे गलत समझा हो, लेकिन भारत ने नहीं।

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