सब-सहारन अफ़्रीकी और मलेरिया ग्रस्त इलाकों में जल्द शुरू हो सकता है लगना टीका
नई दिल्ली। दुनिया भर में महामारी के दौर से गुज़र रहे हम जितना कोविड-19 महामारी की वैक्सीन के अस्तित्व में आते ही राहत की सांस ले रहे थे। उतना ही हम कई सालों से महामारी की शक्ल में दुनिया भर में हर साल चार लाख से अधिक लोगों की जान लेने वाले मलेरिया के टीके को लेकर चिंतित थे। लेकिन अब मनुष्यों के दिमाग में सालों से घर कर चुकी इस चिंता पर विराम लगता हुआ नज़र आ रहा है। दरअसल हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन के हवाले से यह जानकारी मिली है कि एक सदी से ज़्यादा वक़्त की कोशिश के बाद मलेरिया के लिए वैक्सीन बन गई है। जिसका जल्द ही सब-सहारन अफ़्रीका और मलेरिया ग्रस्त अन्य इलाक़ों में इस्तेमाल हो सकता है। मलेरिया पर कारगर आरटीएस,एस (RTS,S) नाम की इस वैक्सीन की जानकारी देते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन चीफ टेड्रोस एडहोनम गेब्रियेसस ने इस दिन को ऐतिहासिक करार दिया है।
60 साल बाद आई वैक्सीन
मलेरिया का तोड़ निकालने की कोशिश करीब 80 साल से चल रही है और करीब 60 साल से आधुनिक वैक्सीन डिवेलपमेंट पर रिसर्च जारी है। बता दें कि आरटीएस,एस (RTS,S) नाम के इस टीके को छह साल पहले प्रभावी पाया था। जिसे अब अनुमति मिली है।
डब्ल्यूएचओ चीफ ने दी जानकारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस एडहोनम गेब्रियेसस ने कहा है कि यह ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने कहा, ”बच्चों के लिए बहुप्रतीक्षित मलेरिया वैक्सीन विज्ञान की अहम खोज है। यह बच्चों की सेहत और मलेरिया नियंत्रण के लिए काफ़ी महत्वपूर्ण है। हर साल लाखों बच्चों की जान बचाई जा सकती है।”