नई दिल्ली। आज की तारीख में ऐसा चुनाव होना संभव ही नहीं, जहां ईवीएम मशीन को लेकर कोई गड़बड़ या अफवाह का मामला सामने ना आए। ऐसा ही कुछ हमें इस बार पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में देखने को मिला है। बीते एक दिन पहले, बंगाल के उलुबेरिया उत्तर सीट से बीजेपी प्रत्याशी चिरन बेरा ने आरोप लगाया था कि, एक स्थानीय टीएमसी नेता के घर से ईवीएम बरामद की गई है। ईवीएम मिलने के बाद इलाके के लोगों ने बड़ी संख्या में घरों से निकल कर प्रदर्शन किया।
टीएमसी नेता के घर से बरामद हुई ईवीएम
इस टीएमसी नेता का नाम गौतम घोष बताया जा रहा है। गौतम के घर से कथित तौर पर 4 ईवीएम और 4 वीवीपैट मशीनें बरामद की गई हैं। आयोग ने कहा है कि, ये रिजर्व ईवीएम और वीवीपैट थीं, जिन्हें अब इलेक्शन प्रोसेस से हटा दिया गया है। उम्मीदवार चिरन बेरा ने आरोप लगाया कि, यह घटना टीएमसी के चुनावों में धांधली की योजना का हिस्सा थी, जो कि सत्ताधारी पार्टी द्वारा अस्वीकार कर दिया गया था। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, “यह टीएमसी की पुरानी आदत है। उन्हें रंगे हाथों पकड़ा गया है और यह दिखाता है कि वे क्या कर रहे हैं।’
बीजेपी प्रत्याशी की गाड़ी में ईवीएम
दिलीप घोष के बयान से एक कहावत याद आती है कि, ‘अगर अपना घर शीशे का हो ,तो दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंका करते।’ आपको याद ही होगा की बीती एक अप्रैल को ही असम के पथरकंडी में बीजेपी प्रत्याशी कृष्णेंदु पॉल की गाड़ी में ईवीएम मिलने का मामला भी सामने आया था। तब विपक्ष ने इस मामले में बीजेपी के साथ-साथ चुनाव आयोग पर भी हमला बोला था।
आयोग बोला, ईवीएम सुरक्षित
इसके बाद, चुनाव आयोग ने सफाई देते हुए कहा था कि गाड़ी खराब हो गई थी। चुनाव अधिकारियों को बीजेपी प्रत्याशी की गाड़ी में लिफ्ट लेनी पड़ी। कहानी अच्छी है, लेकिन कितनी सच्ची है यह कोई नहीं जानता। हालांकि, आयोग ने इस मामले में 4 अधिकारियों को सस्पेंड भी किया है। ईवीएम को कब्जे में ले लिया गया था। अधिकारियों ने बताया था कि ईवीएम सुरक्षित हैं और इसके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है। साथ ही, एक बूथ पर दोबारा चुनाव करवाने के निर्देश दिए हैं।
चुनाव आयोग के कामकाज पर सवाल
यहां किसी की भी छवि साफ नहीं है और मौका मिलने पर दूसरे की छवि पर कीचड़ उछालने से भी कोई पार्टी परहेज नहीं करती है। देश में चुनाव में ईवीएम को लेकर ऐसी घटना होना आम सी बात हो गई है। लेकिन, यह आम सी बात देश के लिए एक बड़ा मुद्दा है। एक आम इंसान यह सोच कर वोट डालने जाता है कि उसका वोट सुरक्षित है। लेकिन, जब ऐसे ईवीएम मशीन में छेड़छाड़ के मामले सामने आए, तो चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होना स्वाभाविक सी बात है। कहने को तो चुनाव आयोग ने दोनों मामलों में सख्त कदम उठाए हैं, लेकिन यह कहना कि किसी और चुनाव में ऐसी घटना देखने को नहीं मिलेगी, आज के दौर में असंभव सा लगता है। चुनाव में ईवीएम की गड़बड़ी के मामले हमारे देश के चुनाव आयोग के कामकाज पर एक बड़ा सवालिया निशान भी छोड़ते जा रहे हैं।