दोस्तों ने मिलकर लिख दी समाजसेवा की नई इबारत
देवनाथ
गाजियाबाद। एक फिल्मी गाने की लाइन थी, ‘जिसका कोई नहीं, उसका तो खुदा है यारों…!’ आपने भी सुना होगा। यह लाइन आज उस वक्त अचानक याद आ गई, जब गाजियाबाद के इन्दिरापुरम की झुग्गियों में चंद लोगों को गरीबों के बच्चों को कुछ पैकेट वितरित करते देखा। अचानक, जानने की इच्छा उठी कि आखिर वे पैकेट हैं किस चीज के? जब जाना तो चला कि वह गरीब बच्चों के लिए पैक्ड भोजन यानी खाना है। यह निवाले हैं उन नौनिहालों के लिए, जिनको कोविड बीमारी के कम होते कहर के बावजूद दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही है। आइये जानते हैं कि आखिर वे फरिश्ते हैं कौन और आखिर वे इन बच्चों को भोजन बांट क्यों रहे हैं?
दिक्कतें अभी भी हैं…
दरअसल, देश में वर्तमान समय में कोरोना की पकड़ कम हो रही है। सरकार भी वैक्सीनेशन पर जोर दे रही है और लोग भी जागरुक होकर वैक्सीनेशन करवा रहे हैं। साथ ही, अनलॉक की प्रक्रिया भी जारी है। लेकिन, अब भी लोगों के पास दिक्कतों का अंबार है। कहीं काम की समस्या है तो कहीं भोजन की। सबसे ज्यादा दिक्कत गरीबों को है, जिनको हम निम्न वर्ग कहते हैं।
दोस्तों ने उठाया बीड़ा
इन निम्न वर्ग के लोगों को भोजन और राशन-पानी की समस्या है। दो वक्त की रोटी के भी कभी-कभी लाले पड़ जाते हैं। ऐसे में कुछ दोस्तों ने आपस में मशविरा किया और आपस में मिलकर गरीब बच्चों की मदद के लिए सोंचा। फिर क्या था, सोंचा और जुट गये काम पर। पिछले अप्रैल महीने से गरीब बच्चों के बीच इन दोस्तों ने पैक्ड खाना मुहैया कराने का काम शुरू किया।
एक सैकड़ा से अधिक बच्चों को दिये पैक्ड फूड
इन सबके बीच दोस्तों ने मिलकर एक नींव रखी, एक बुनियाद रखी और समाजसेवा की उस बुनियाद का नाम रखा ड्रीम पॉजिटिव फाउंडेशन। यह फाउंडेशन लगातार गाजियाबाद के अलग-अलग इलाकों में जाकर गरीब बच्चों के बीच खाना बांटती है। इसके समाजसेवी दिन-रात इस काम में बिना किसी लोभ या लालच के कड़ी मेहनत से जुटे रहते हैं। इसी कड़ी में आज समाजसेवी नीरज त्यागी के साथ मिलकर इंदिरापुरम पब्लिक स्कूल के नजदीक झुग्गियों में रहने वाले 100 बच्चों के बीच पैक्ड खाने का वितरण किया गया। जी हां, यह वही वितरण कार्यक्रम है, जिसका उल्लेख हमने ऊपर ख़बर में किया है।
हर शनिवार देते हैं बच्चों को भोजन
दरअसल, कोरोना के दूसरी लहार में गरीब बच्चों को भीख मांगते देखने के बाद फाउंडेशन के कुछ सदस्यों ने गरीब बच्चों की परेशानी दूर करने की कोशिश की थी। आज के हालात यह हैं कि हर हफ्ते शनिवार को 100 के करीब बच्चो को खाना मुहैया कराया जाता है। इस ड्रीम पॉजिटिव फाउंडेशन में विष्णु भारद्वाज, राजू राज, अमित पांडेय, रविन्द्र कुमार सिंह, तरुण भारद्वाज, अजय कुमार शर्मा, प्रमोद बिष्ट, मुकेश कुमार सिंह, शामिल हैं।