भारत-चीन विवाद पर लोकसभा में राजनाथ सिंह के भाषण की प्रमुख बातें

 

#भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद के बीच आज देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में इस मुद्दे पर बयान दिया.

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद के बीच आज देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में इस मुद्दे पर बयान दिया.

राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार की विभिन्न खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय का एक विस्तृत और समय परीक्षण तंत्र (Time Tested Mechanism) है, जिसमें केंद्रीय केंद्रीय पुलिस बल (Central Police Forces) और तीनों सशस्त्र बल की खुफिया एजेंसियां शामिल हैं.

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी (Narendra Modi) ने हाल ही में लद्दाख का दौरा कर हमारे बहादुर जवानों से मुलाकात की और उन्होंने यह संदेश भी दिया था कि समस्त देशवासी अपने वीर जवानों के साथ खड़े हैं.

 

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत शांति के साथ इस समस्या का समाधान चाहता है. लोकसभा में उन्होंने कहा कि 1993 और 1996 में तय हुआ था कि दोनो देश कम सेना रखेंगे. एक समझ बनी थी लेकिन चीन ने आगे सहमति नही बनाई.

अपने बयान में रक्षा मंत्री ने कहा कि सीमा पर जवान पूरी तरह से सतर्क है. भारत चाहता है कि बातचीत से मसला सुलझे. उन्होंने बताया कि मॉस्को में चीन के रक्षा मंत्री के साथ मुलाकात में मैंने सभी बातों को मजबूती के साथ रखा.

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अगर चीन अपनी सेना वहां से हटा ले तो बात बन सकती है. अभी हालात अलग हैं और भारत हर तरह के हालातों से निपटने के लिए तैयार है.

राजनाथ सिंह ने सदन में बताया कि बहादुर जवान पूरी तरह से सुरक्षित हैं. हम अपने पड़ोसी देशों से अच्छे सबंध चाहते है लेकिन दोनों देशों को सीमा का सम्मान करना होगा.

फिलहाल यथास्थिति का पालन किया जा रहा है. चीन की तरफ से जब भी आक्रमक कार्रवाई की कोशिश की गई तो सेना ने उसे हर स्तर पर विफल किया.

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हमारी सरकार ने सीमावर्ती बुनियादी ढांचे के विकास के लिए बजट को पिछली सरकारों से लगभग दोगुना कर दिया है. हमारे सशस्त्र बलों का मनोबल काफी मजबूत है. वे दुर्लभ ठंडे तापमान में भी ऊंचाई पर लड़ाई लड़ सकते है.

राजनाथ सिंह ने कहा कि अप्रैल महीने से चीन ने सेना में बढ़ोतरी शुरू कर दी थी. मई में कुछ समस्याएं आईं तो ग्राउंड में बात की गई.  कई जगहों पर अतिक्रमण करने की कोशिश की गई.

जिसके जवाब में सेना ने कार्रवाई करके साफ कर दिया कि सैन्य और कूटनीतिक स्तर हालात पर बदलाव मंजूर नही है. 15 जून को गलवान में जो हिंसक झड़प हुई, उसमें चीन की सेना को भारी नुकसान हुआ.