मध्यप्रदेश के बालाघाट में आदिवासी परिवार ने गांव के दबंगों पर उनका हुक्का पानी बंद करने का आरोप लगाया है.
आदिवासी परिवार के मुताबिक नवरात्र पूजा के लिए उनसे प्रति परिवार 201 रुपए का चंदा मांगा गया था, लेकिन उन्होंने आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए 101 रुपये चंदा ही जमा करवाया.
जिसके बाद गांव के दबंगों ने उनका बहिष्कार कर दिया. इस फैसले के बाद से गांव के 14 आदिवासी परिवार अपने ही गांव में पराए की तरह रह रहे हैं.
बालाघाट के एडिशनल एसपी गौतम सोलंकी को 14 आदिवासी परिवारों ने ज्ञापन देते हुए आरोप लगाया है कि नवरात्र में उनसे प्रति परिवार 201 रुपए का चंदा मांगा गया था लेकिन आर्थिक हालत ठीक नहीं होने की वजह से कुछ परिवारों ने 101 रुपये चंदा दिया था.
इसके बाद दबंगों ने कम चंदा देने वाले परिवारों का बहिष्कार कर दिया. गांव के कुछ लोगों और प्रशासन के समझाने के बाद भी जब दबंग नहीं माने तो हार कर आदिवासी परिवारों ने जिला मुख्यालय का रुख किया और पुलिस के आला अधिकारियों को ज्ञापन देकर न्याय की गुहार लगाई है.
गांव के मुनसिंह मसराम नाम के पीड़ित आदिवासी ने बताया, ‘कोरोना महामारी के चलते पहले ही हमारा काम ठीक ढंग से नहीं चल रहा है. हम मजदूरी करके अपने परिवार को पालते हैं.
गांव में दुर्गा महोत्सव पर समिति ने 201 चंदे की राशि तय की थी लेकिन हम 101 रुपये दे रहे थे उन्होंने सिर्फ इतनी सी बात पर गांव से हमारा बहिष्कार कर दिया’.
वहीं धनसिंह नाम के पीड़ित आदिवासी ने बताया, ‘गांव के लोगों द्वारा बहिष्कार के बाद ना तो हम गाय चराने जा सकते हैं और ना ही किसी से बात कर सकते हैं’.
इस पूरे मामले को लेकर एडिशनल एसपी गौतम सोलंकी ने बताया कि लामता के मोतेगांव में कुछ आदिवासियों ने उन्हें गांव से बहिष्कृत करने की शिकायत की है.
इस मामले की जांच की जा रही है. जांच में मामला सही पाए जाने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. इस बारे में स्थानीय थाना प्रभारी से भी जानकारी मांगी गई है.