नई दिल्ली। लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन को अभी एक साल से भी कम समय हुआ है कि उनकी पार्टी टूटने के कगार पर आ गई है। लोक जनशक्ति पार्टी को एक झटका देते हुए, उसके छह लोकसभा सांसदों में से पांच ने चिराग पासवान के दिवंगत पिता और पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के सबसे छोटे भाई पशुपति कुमार पारस को उनके स्थान पर चुनने के लिए हाथ मिलाया, जिससे बिहार की राजनीति में बड़ा मोड़ आया है। चिराग पासवान को एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। तो वहीं चिराग के सर्मथन वाले गुट ने दूसरे पक्ष पर पलटवार किया है। उन्होंने पाँचों सांसदों को ही पार्टी से बहार का रास्ता दिखा दिया है।
उनकी जगह सूरजभान को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, सूरजभान पार्टी के नए अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराएंगे। खबरों के मुताबिक, एक व्यक्ति एक पद के नियम के तहत चिराग को हटा दिया गया है। पांच दिनों के भीतर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुला कर नए अध्यक्ष का चुनाव कराया जाएगा।
चाचा पारस सहित 5 सांसदों की बगावत
सांसदों में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा कि उन्हें एलजेपी से अलग दल की मान्यता दी जाए और पशु पति नाथ पारस को नेता बनाने की मांग की। सांसदों का मानना है कि चिराग ने नीतीश के खिलाफ चुनाव लड़ कर पार्टी का बड़ा नुकसान किया है। पारस ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की एक अच्छे नेता और विकास पुरष के रूप में सहारना की और पार्टी के भीतर गहरी गलती की रेखाओं को उजागर किया।
चिराग धङे का पलट वार
चिराग गुट की ओर से अब्बुल खालिक के हस्ताक्षर से एक पत्र जारी किया गया है। इसमें बताया गया है,“ पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति ने एक मत से फ़ैसला किया है कि सांसद पशुपति कुमार पारस, सांसद बीना देवी, सांसद चौधरी महबूब अली, सांसद चंदन सिंह और सांसद प्रिंस राज को तत्काल प्रभाव से लोक जनशक्ति पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से हटा दिया गया है।”
‘पापा की बनाई पार्टी को नहीं बचा पाया…’
एलजेपी के अध्क्षय चिराग पासवान ने पार्टी में फूट को लेकर निराशा जाहिर करते हुए ट्वीट किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि वह पापा की बनाई पार्टी को नहीं बचा पाए। वह लिखते हैं कि,“पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए किए मैंने प्रयास किया लेकिन असफल रहा। पार्टी माँ के समान है और माँ के साथ धोखा नहीं करना चाहिए। लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है। पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूँ।“ चिराग पासवान ने इस ट्वीटके साथ एक पुराना पत्र भी शेयर किया है। पत्र में चिराग़ पासवान ने अपने चाचा के साथ संबंधों में आई खटास का ज़िक्र किया है। उनसे चल रही अनबन से जुड़ी कुछ घटनाएं भी लिखी हैं।