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“अच्छे खासे आदमी की भूख तब मर जाती है
जब पत्नि कहती है,खाना खा लो,
फिर-कुछ बात करनी है आप से“
किसी ने पूछा हमसे-हे अन्तर्मना गुरूदेव-? मै सन्त बनू या संसार बसाऊ? हमने कहा-सहन करने की शक्ति हो तो सन्त बनो और धन,दौलत, सम्पत्ति हो तो संसार बसाओ। अन्यथा कीचड़ मे पाव डाला ही ना जाये।क्योंकि कीचड़ मे पाव डालना फिर धोना ,इसमे जीवन का बहुमूल्य समय बरबाद हो जाता है।अगर संयम और मन को साध सको तो श्रेष्ठतम मार्ग यही है।और ये मार्ग सम्भव ना हो तो गृहस्थ जीवन मे प्रवेश करो,सहन करने की आदत डालो।जीवन मे सामंजस्य व ताल मेल बिठाकर रखो।इसके बिना जीवन नर्क है। बात बात मे तलाक की बात करना,या मर जाने की बात सोचने बाला व्यक्ति, गृहस्थ जीवन मै कभी सफल नही हो सकता। एक दुसरे की बात को काटना, बात बात पर बहस करना, एक दूसरो को नीचा दिखाना अच्छे दाम्पत्य के लक्षण नही है। और ऐसे पति पत्नि कभी एक दूसरे के दिलो पर राज नही कर सकते। दिल पर राज करने के लिये तो गृह लक्ष्मी को प्रसन्न रखना होगा और पति के सुख सौभाग्य के लिये गृह लक्ष्मीओ को ,अपने सुहाग को,मांग के सिन्दूर को,पति परमेश्वर को खुश तो रखना पड़ेगा। पति पत्नि एक दुसरे को सहन करे,सहयोगी बने और अन्तिम स्वांश तक साथ निभाये। करवा चौथ का दिन था । पति ऑफिस से घर जा रहा था ।पुलिस ने रोका -कहा चालान काटना पडेगा,नाम बताओ । पति- याज्ञवल्क्यदास रामानुजम त्रिचीपल्ली मोक्ष गुंडकम्म मुत्थु स्वामी ।
पुलिस -आज छोड देता हू-आगे से हैल मेट लगाना।