
खेरागढ़। राजकीय महाविद्यालय सैंया, खेरागढ़ में “वंदे मातरम् के राष्ट्रीय एकता एवं स्वतंत्रता संग्राम में योगदान” विषय पर विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. गुलशन सक्सेना ने की। संगोष्ठी की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलन और “वंदे मातरम्” के सामूहिक गायन के साथ हुई।
प्राचार्य डॉ. सक्सेना ने अपने उद्बोधन में कहा कि “वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चेतना का सशक्त प्रतीक है, जिसने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देशवासियों में अद्वितीय जोश और उत्साह भरा।” उन्होंने गीत का अर्थ और संदेश समझाते हुए बताया कि यह मातृभूमि की वंदना के साथ-साथ भारत की शक्ति, एकता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है।
डॉ. विजय आनंद गौतम ने “वंदे मातरम्” के इतिहास, उत्पत्ति और स्वतंत्रता आंदोलन में इसके योगदान पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह गीत आज़ादी के आंदोलन में लाखों भारतीयों के लिए प्रेरणा स्रोत बना और युवाओं में राष्ट्रभक्ति की ज्वाला जगाने का शक्तिशाली माध्यम बना।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. रेखा सुमन ने किया। डॉ. रविंद्र कुमार सहित महाविद्यालय के सभी छात्र-छात्राएं इस अवसर पर उपस्थित रहे।