हरियाणा से अपने-अपने प्रदेशों में लौटने की चाहत रखने वाले करीब 7 लाख मजदूरों और कामगारों को संबंधित राज्य सरकारों के बुलावे का इंतजार है। उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और झारखंड समेत देश की विभिन्न राज्य सरकारें हरियाणा में रह रहे इन मजदूरों को अपने प्रदेशों में बुलाने के लिए तैयार नहीं हैं।
नोडल अधिकारियों की अपील के बावजूद प्रदेश सरकारें इन मजदूरों को बुलाने की एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) जारी नहीं कर रही हैं। एनओसी के बिना मजदूरों को उनके मूल प्रदेशों में नहीं भेजा जा सकता और न ही रेलवे टिकट बुक करता है। हरियाणा से अपने राज्य लौटने के लिए करीब 8 लाख लोगों ने आवेदन किया था। इनमें एक लाख प्रवासी मजदूरों और कामगारों को उनके प्रदेशों में पहुंचाया जा चुका है।
इनके जाने का पूरा किराया हरियाणा सरकार ने उठाया और उन्हें रास्ते के लिए खाने पीने का सामान भी दिया। अभी करीब सात लाख लोग यहां फंसे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हालांकि जिस तरह से चौथे चरण के लॉकडाउन में रियायतें देने का संकेत दिया है, उसके मद्देनजर करीब 40 फीसद मजदूर अब अपने प्रदेशों को जाने का इरादा टाल रहे हैं, लेकिन 60 फीसद अभी भी अपने अलग-अलग और निजी कारणों से लौटना चाहते हैं। ऐसे संकेत खुद सीएम मनोहर लाल ने भी दिए हैं।