मथौली में 50 लाख रुपए के वॉटर एटीएम बने कबाड़: नगर पंचायत का बड़ा खर्च, लोगों को नसीब नहीं शुद्ध पानी

कुशीनगर। नगर पंचायत मथौली की महत्वाकांक्षी पेयजल योजना अब पूरी तरह दम तोड़ चुकी है। नगर पंचायत द्वारा स्वच्छ और ठंडा पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लगाए गए 10 वॉटर एटीएम मशीनें अब कबाड़ में तब्दील हो गई हैं। इन मशीनों पर लगभग 50 लाख रुपए खर्च किए गए थे, लेकिन आज नगर के लोग एक बूंद शुद्ध पानी के लिए भी परेशान हैं।

नगर पंचायत क्षेत्र के 16 वार्डों में से केवल 10 वार्डों में वॉटर एटीएम लगाए गए थे, जबकि बाकी वार्डों में शुरुआत से ही यह सुविधा नहीं पहुंच पाई। प्रत्येक मशीन की कीमत करीब 5 लाख रुपए बताई जाती है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, मशीनें लगने के शुरुआती दिनों में कुछ समय तक तो पानी मिला, लेकिन जल्द ही वे बंद हो गईं। इसके बाद न तो किसी ने मरम्मत कराई, न ही रखरखाव पर ध्यान दिया गया।

वार्ड नंबर 3 को छोड़कर बाकी सभी 9 वार्डों में वॉटर एटीएम पूरी तरह ठप पड़े हैं। कई स्थानों पर मशीनों के पुर्जे तक चोरी हो चुके हैं। इससे नगरवासियों में भारी आक्रोश है।

वार्डवार हालात:
वार्ड 13 में आयुर्वेदिक अस्पताल परिसर में लगी मशीन खराब है, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को पानी के लिए भटकना पड़ता है।
वार्ड 12 में श्रीराम बाजार जाने वाली सड़क पर लगा एटीएम महीनों से बंद है।
वार्ड 11 की मशीन कुछ दिन चलने के बाद ही खराब हो गई — बताया जा रहा है कि कुछ असामाजिक तत्वों ने इसके पुर्जे तोड़ दिए।
वार्ड 1, 6 और 8 की मशीनें भी लंबे समय से निष्क्रिय हैं। वार्ड 6 में सिंघासनी देवी मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु शुद्ध जल से वंचित हैं।
वार्ड 4 और 16 की मशीनें कभी चलती हैं, कभी बंद रहती हैं — मरम्मत का कोई स्थायी इंतजाम नहीं है।

जिन वार्डों में मशीनें लगी ही नहींं:
वार्ड नंबर 5, 7, 9, 10, 14 और 15 के निवासियों को शुरुआत से ही वॉटर एटीएम की सुविधा नहीं मिली। इन इलाकों के लोगों का आरोप है कि उनके साथ सौतेला व्यवहार किया गया है।

कुल मिलाकर, नगर पंचायत के करोड़ों रुपए के बजट और बड़े-बड़े दावों के बावजूद मथौली के लोग शुद्ध पेयजल जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित हैं।

स्थानीय निवासी रामप्रवेश, संतोष कुमार और सीमा देवी ने बताया कि “मशीनें दिखावे के लिए लगाई गई थीं, लेकिन कुछ ही महीनों में बंद हो गईं। अब कोई अधिकारी सुनने तक नहीं आता।”

इस पूरे मामले पर जब अधिशाषी अधिकारी सर्वेश कुमार श्रीवास्तव से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनका फोन लगातार बजता रहा, लेकिन जवाब नहीं मिला। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नगर की समस्याओं को लेकर अधिकारियों से बात करना मुश्किल हो गया है क्योंकि फोन तक नहीं उठाया जाता।

जनता का कहना है कि नगर पंचायत प्रशासन की लापरवाही ने करोड़ों की योजना को विफल बना दिया है। यदि शीघ्र ही मरम्मत और रखरखाव की व्यवस्था नहीं की गई, तो आने वाले समय में यह पूरा प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार और फिजूलखर्ची की मिसाल बन जाएगा।