लखनऊ। कोरोना के कारण लखनऊ की चिकित्सीय सेवायें बदहाल हो चुकी है। इससे कहीं अधिक, ऐसे लोग हैं, जो खांसी, बुखार से पीड़ित हैं। परन्तु, कोरोना पॉजिटिव आने के डर से अपनी जांच नहीं करवा रहे हैं। ऊपर से अस्पतालों की भीड़ देखकर तथा संक्रमण की स्थिति को देखकर कहीं जाने के बजाय खुद ही अपना इलाज कर रहे हैं। घरों के आस-पास के अच्छे डाक्टर बुखार खांसी के मरीजों का इलाज नहीं कर रहे बल्कि उनसे कोविड नेगेटिव की रिपोर्ट मांग रहे है।
झोलाछाप डॉक्टरों के क्लीनिकों में मरीजों की भरमार
झोलाछाप डॉक्टरों के यहां मरीजों की भारी भीड़ हर गली मोहल्ले में देखी जा सकती है, जो बुखार व खांसी का इलाज करवा रहे है। शहर के हर इलाके में मौजूद मेडिकल स्टोर वाले भी लक्षणों के आधार में दवायें दे रहे है। वही इससे भी ऊपर कुछ मेडिकल स्टोर वाले कोरोना के लक्षणों के आधार पर कोरोना पीड़ितों को दी जाने वाली दवायें दे रहे है। जिनमें आइवरमेक्टिन, पहले तीन दिन ली जाने वाली एरिथ्रोमाइसिन तथा बाद में सात दिनों तक दी जाने वाली डॉक्सी क्लीन शामिल है। विटामिन डी-3 और विटामिन सी आदि तो सामान्य है।
सरकार के आदेशों का नहीं हो रहा पालन
पूर्व में आये सरकारी आदेश के अनुसार मेडिकल स्टोर पर बुखार की दवायें खांसी के सिरप आदि लेने वालों के नाम व मोबाइल नंबर सुरक्षित रखना था। बाद में उनकी सूचना मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय को उपलब्ध करानी थी। ताकि उनकी ट्रेसिंग हो सके। परन्तु इन सबसे परे मेडिकल स्टोर वाले खुद कोरोना का इलाज कर रहे है। वही गली मोहल्लों के डॉक्टर भी इस तरह की कोई सूचना सरकार को नहीं दे रहे है। स्थिति बिगड़ने पर गंभीर हालत में मरीज को सरकारी व निजी अस्पतालों में ले जाते है वहां भी इलाज न मिल पाने से आखिर में मृत्यु ही हो रही है। ऐसे हालात शहर के सभी इलाकों में है। ऐसे हालात में शासन को एडवाइजरी जारी कर बिना डॉक्टर के पर्चे के किसी प्रकार की बुखार आदि की दवाएं देने पर मेडिकल स्टोर वालों को रोकना चाहिये।