
मसौली, बाराबंकी: निपुण भारत मिशन के तृतीय बैच का पांच दिवसीय एफएलएन प्रशिक्षण सोमवार को खंड शिक्षा अधिकारी मसौली जैनेंद्र कुमार के मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। अंतिम दिवस के सत्र में भारतीय ज्ञानपरंपरा और अंतःविषयक दृष्टिकोण के संदर्भ में संतूर पाठ्यपुस्तक और कार्यपुस्तिका पर विस्तृत चिंतन-मंथन किया गया।
प्रशिक्षण में क्रीड़ा आधारित शिक्षण पद्धति, भाषा अर्जन एवं अधिगम, उपसर्ग-प्रत्यय द्वारा शब्द संवर्धन, शुद्ध वाक्य रचना, उच्चारण सुधार और आनंदमय अधिगम वातावरण के निर्माण जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई। खंड शिक्षा अधिकारी जैनेंद्र कुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का मूलाधार शिक्षक की निष्ठा, कर्मठता और दूरदृष्टि है। प्रशिक्षण से अर्जित ज्ञान का विद्यालयीन जीवन में व्यवहारिक रूप से उपयोग ही बच्चों के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।”
एसआरजी अवधेश कुमार पांडे ने अंतःविषयक दृष्टिकोण शिक्षा को जीवनसापेक्ष बनाने और बच्चों के स्वाभाविक जिज्ञासा बोध का पोषण करने की आवश्यकता बताई। एआरपी आदित्य कुमार वर्मा ने संतूर पाठ्यपुस्तक को क्रीड़ा और गतिविधि आधारित अधिगम का सशक्त माध्यम बताया। एआरपी राहत फातिमा ने कहा कि भाषा अर्जन और भाषा अधिगम के मध्य दूरी केवल रचनात्मक एवं संवादपरक शिक्षण से पटी जा सकती है। एआरपी राजेश कुमार यादव ने शब्द सम्पदा संवर्धन और शुद्ध वाक्य रचना को भाषा दक्षता के प्रमुख स्तंभ बताया। एआरपी आशीष कुमार शुक्ला ने तनावमुक्त शिक्षण वातावरण से बच्चों की रचनात्मकता और प्रतिस्पर्धी प्रवृत्ति दोनों के विकास पर जोर दिया। एआरपी उमेश कुमार वर्मा ने शिक्षण में सहयोग, टीम भावना और अनुभव साझाकरण से अधिगम प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और दीर्घजीवी बनाने की बात कही।
प्रशिक्षण में सक्रिय सहभागिता प्रदर्शित करने वाले उल्लेखनीय प्रशिक्षणार्थियों में आलोक सिंह, मोहम्मद इकबाल, इला पांडे, फरहत अंजुम, आरती सिंह, अंशु वाजपेई, उमा देवी, ऋचा वर्मा, गोल्डी वर्मा, अनिल कुमार, देवेंद्र सिंह, नसरा फातिमा, क्षमा चतुर्वेदी, सुरेंद्र कुमार, अरविंद कुमार, आरती वर्मा, आदेश वर्मा, देवेंद्र वर्मा, जमाल अहमद, शिल्पी वर्मा, अनामिका श्रीवास्तव, नलिनी श्रीवास्तव, पुष्पा यादव, दीपशिखा, मीनाक्षी मिश्रा और अजय कुमार शामिल रहे।