यह मामला बहुत ही गंभीर है, कोई भी पेरेंट्स अपने बच्चे के बिना एक पल भी नहीं रह सकता है. भारत में तो जंहा बच्चों को गलती होने पर, खूब डांटा जाता है. कभी कभी तो पिटाई भी कर दी जाती है. लेकिन हर देश में ऐसा नहीं होता. वंहा बच्चों को पीटना तो दूर की बात है, अगर गलती से जरा सा भी डांट दिया तो बच्चो को पेरेंट्स से छिनकर, बाल सुरक्षा अधिकारी द्वारा अनाथालय में डाल दिया जाता है.
इस तरह के सख्त बाल सुरक्षा कानून वाले देश हैं नॉर्वे, जर्मनी, फिनलैंड, ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड. बच्चे को डांटने, पीटने या किसी भी गलती के कारण, बाल सुरक्षा अधिकारी बच्चे को फॉस्टर केयर में डाल देते है, अगर बच्चा 2 साल से ज्यादा फॉस्टर केयर में रह जाता है या बच्चे के माता-पिता के केस का फैसला जल्द नहीं आता है तो बच्चा हमेशा के लिए अपने माता- पिता से दूर हो जाता है.
अभी कुछ महीने पहले ही बेबी अरिहा का मामला खूब चर्चा में आया था, जर्मनी के बाल सुरक्षा अधिकारी ने शक के आधार पर बेबी अरिहा को अपने माता-पिता से अलग कर फॉस्टर केयर में डाल दिया था. उन्हें शक था कि बेबी के साथ यौन शोषण हो रहा है. पेरेंट्स के केस का फैसला जल्द नहीं आ पाया, जिससे अब बेबी अरिहा को हमेशा खोने का पेरेंट्स का डर बना हुआ.
बच्चो के पेरेंट्स ने यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स (ECHR) में अपने बच्चो के किडनैपिंग का केस डाले है, यंहा तक कि नॉर्वे के 170 अधिकारियो ने भी इन एजेंसी को बंद करने या सुधारने की मांग की. उनका कहना है कि फॉस्टर केयर बच्चो की हर समस्या का हल नहीं कर सकता. बच्चो को अपने माता-पिता से अलग रहने के कारण उनपर आगे चलकर अच्छा असर नहीं पड़ता है.
इस तरह की समस्या केवल भारत और दक्षिण एशिया के देशो के लोगो को वंहा झेलनी पड़ती है. वेस्ट के देशो के साथ ऐसा नहीं होता है. यह एक बहुत बड़ा मुद्दा है, इसके जी-20 में उठने की बहुत संभावना है.