कोरोना वायरस से सम्पूर्ण विश्व की स्वास्थ्य व्यवस्थाये जूझ रही है तो वही हमारा देश भारत विकसित देशों की तुलना में काफी कम स्वास्थ्य संबंधी संसाधनों के साथ कोरोनावायरस से जूझ रहा है | (अथर्व रस्तोगी)
और शायद ये कहना बिल्कुल सही रहेगा कि जिस देश के नागरिक अपनी धरती के प्रति समर्पित रहते हैं वह देश सीमित संसाधनों में भी वो कर दिखाता है जिसकी लोग कल्पना भी नहीं करते हैं जिसकी एक बानगी अगर भारत चीन सीमा पर भारतीय सेना के जवानों में देखने को मिलती है तो देश के भीतर इस कोरोना काल मे हमारे स्वस्थ्य को सँभालने वाले डॉक्टर्स मे भी देखने को मिलती है |
जिन्होंने कम संसाधनों में भी देश सेवा का जज्बा मन में लेकर अस्पताल में मरीजों को संभाला और अस्पताल के बाहर निकल कर छोटी और गरीब बस्तियों में जाकर अपनी सेवाएं लगातार देकर इस देश की सेहत को भी संभाले हुए हैं |
इसी तरीके की सेवा का जज्बा लखनऊ के सीएमओ संजय भटनागर में भी देखने को मिलता है | जहां एक तरफ लखनऊ के अस्पतालों के स्वास्थ सेवाओं को कोरोना काल सुचारु रुप से चलाना हो यह जमीन पर उतर कर आर्थिक रूप से कमजोर लोगो के दरवाजे तक प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाना हो |
रविवार के दिन राजधानी के तकरोही में शहीद भगत सिंह वार्ड में लखनऊ के सीएमओ डॉक्टर संजय भटनागर उतर गए जहां अधिकतर आर्थिक रूप से कमजोर तबके के परिवारों की संख्या ज्यादा है | सीएमओ ने लोगों को करोना कि प्रति जागरूक किया उन्हें बताया कि कैसे हम करो ना काल में खुद को और दूसरों को सुरक्षित रख सकते हैं |
इसके साथ ही बाल टीकाकरण का कार्यक्रम चलाया कोरोना डेथ कैंप लगाए और साफ सफाई की व्यवस्था का जायजा लिया और कुछ जगह गंदगी पाए जाने पर नगर निगम से संपर्क कर तत्काल उसे साफ कराया और सफाई कर्मियों को साफ सफाई रखने के निर्देश भी दिए |
सीएमओ के जमीन पर उतरने से इतना जरूर हो गया कि जिन लोगों के पास टीकाकरण के प्रति जागरूकता और पैसे नहीं थे उनके शिशुओं का टीकाकरण हो गया |सीएमओ ने लोगों से स्वस्थ्य सेवाओं का हाल भी जाना | इसी तरह की कार्यशैली अपनी क्षमताओं के हिसाब से आज लगभग हर स्वास्थ्य कर्मी ने अपना रखी |
वो अस्पतालों में हो या डॉक्टर संजय भटनागर की तरह राजधानी के स्वास्थ्य की बागडोर संभालने के साथ जमीन पर उतर कर कोरोना की तरह और भी संक्रामक रोगों से लगातार समाज में आखरी तबके के लोगों घर तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचा कर देश को स्वस्थय भविष्य की ओर ले जाने का जिम्मा उठाये हुए है|
अगर सिस्टम में अपने काम के प्रति इस तरह समर्पित लोग कोरोना योद्धा ना हो तो वास्तव में हम विकसित देशो की तुलना कम संसाधनों के साथ कोरोना महामारी से नहीं लड़ पाते |