बिहार की आरजेडी और जेडीयू पार्टी की प्रमुख मांगों में से एक है जातिगत जनगणना
नई दिल्ली। जातिगत जनगणना की मांगें कुछ समय से कई राजनीतिक पार्टियों की तरफ से साफ निखर कर आ रही है जिसे लेकर बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर अपना रूख साफ कर दिया है। दरअसल बीते सोमवार को नीतीश कुमार ने पटना में कहा कि हमने 4 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है, अभी तक उसका कोई जवाब नहीं आया है। हम चाहते हैं कि जाति आधारित जनगणना हो, यह हमारी पुरानी मांग है। नीतीश ने कहा कि जातिगत जनगणना एक बार भी करा देंगे तो एक-एक चीज़ की जानकारी मिल जाएगी। यह सबके हित में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समय देंगे तो उनसे मिलकर जरूर अपनी बात कहेंगे।
इस मांग का संबंध सामाजिक है
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इस मांग का संबंध राजनीति नहीं बल्कि सामाजिक है। ‘हमलोग चाहते हैं कि केंद्र सरकार ही जातिगत जनगणना कराए। कुछ राज्य पहले भी जातिगत जनगणना कर चुके है। जातिगत जनगणना एक बार करा देना देश के हित में है।’ इसी के साथ कोरोना टीकाकरण के टारगेट पर सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में पूरी मजबूती के साथ टीकाकरण किया जा रहा है। 6 महीने में 6 करोड़ लोगों का टीकाकरण निश्चित रूप से होगा। शुरुआती दौर में बिहार सरकार ने वैक्सीन खरीदा भी लेकिन अब केंद्र सरकार की ओर से टीका मिल रहा है।
1931 में हुई थी जातिगत जनगणना
भारत में साल 1931 में पहली बार जातिगत जनगणना हुई और 1941 में जातिगत जनगणना के आधिकारिक आंकड़े इकट्ठा किए गए लेकिन उन्हें प्रकाशित नहीं किया गया। इसके बाद साल 1951 से लेकर साल 2011 तक सिर्फ अनुसूचित जाति/जनजाति की ही जनगणना होती रही। लेकिन अब इस सूची में अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) को शामिल करने की मांग भी तेजी से उठ रही है।