बोले याचिकाकर्ता इन सवालों के कब जवाब देंगे राहुल गांधी?

लखनऊ, 4 अगस्त 2025 — भारतीय सेना पर विवादास्पद बयान को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कड़ी फटकार का सामना करना पड़ा। शीर्ष अदालत ने तीखे शब्दों में सवाल किया, “आपको यह जानकारी कैसे मिली कि चीन ने भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है? आपकी जानकारी की विश्वसनीयता क्या है?” अदालत ने कहा, “अगर आप सच्चे भारतीय होते, तो सेना पर इस तरह के आरोप नहीं लगाते। जब सीमा पर तनाव हो, तो ऐसे बयान देना क्या उचित है? आप विपक्ष के नेता हैं — आपको संसद में बोलना चाहिए, सोशल मीडिया पर नहीं।”

सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ की एमपी-एमएलए अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ जारी कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता पूर्व निदेशक बीआरओ, भारतीय सेना, उदय शंकर श्रीवास्तव को नोटिस जारी किया है। सभी पक्षों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। यह सुनवाई विशेष अनुमति याचिका (SLP संख्या 31445/2025) — राहुल गांधी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं उदय शंकर श्रीवास्तव — पर हुई। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने की। शिकायतकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया ने पक्ष रखा, जिन्हें अर्पण त्रेहन ने सहयोग दिया।

16 दिसंबर 2022 को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी ने एक जनसभा में कहा था, “लोग भारत जोड़ो यात्रा के बारे में पूछते हैं, लेकिन चीन ने 2000 वर्ग किमी भारतीय ज़मीन कब्जा ली है, हमारे 20 सैनिक शहीद हुए और हमारे जवानों को अरुणाचल में पीटा जा रहा है।” इस बयान के खिलाफ पूर्व बीआरओ निदेशक और भारतीय सेना से सेवा निवृत्त उदय शंकर श्रीवास्तव ने लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर किया था। 29 मई 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका खारिज करते हुए समन जारी किया, जिसे उन्होंने अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

3 अप्रैल 2025 को लोकसभा में भारत-चीन राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ पर राहुल गांधी ने कहा था, “चीन हमारे 4000 वर्ग किमी क्षेत्र पर कब्जा करके बैठा है और सरकार जश्न मना रही है। विदेश सचिव चीनी राजदूत के साथ केक काट रहे हैं। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री चीनी राजदूत को चिट्ठी लिख रहे हैं और हमें यह सब दूसरों से पता चल रहा है।” उन्होंने कहा, “हम सामान्य स्थिति के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उससे पहले हमें अपनी जमीन वापस चाहिए।”

15 जून 2020 को गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच झड़प में 20 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे। भारत ने इसका कड़ा सैन्य जवाब दिया था, जिसमें लगभग 40 चीनी सैनिक मारे गए थे। यह संघर्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीनी अतिक्रमण की पृष्ठभूमि में हुआ था।

पूर्व निदेशक बीआरओ, भारतीय सेना, उदय शंकर श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह याचिका भारतीय सेना की गरिमा और सम्मान की रक्षा के लिए दायर की गई है। जब राजनेता सेना के पराक्रम पर सार्वजनिक मंच से सवाल उठाते हैं, तो यह न सिर्फ असंवैधानिक होता है बल्कि सैनिकों के मनोबल को भी ठेस पहुंचाता है। सुप्रीम कोर्ट से हमारा आग्रह है कि ऐसे बयानों पर प्रभावी नियंत्रण हो और सेना को राजनीतिक विवादों से दूर रखा जाए।”

अमर भारती से बातचीत में उन्होंने कहा, “माननीय सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां करोड़ों भारतीयों और लाखों सैनिकों की भावनाओं को प्रतिबिंबित करती हैं। मैं भारत की न्यायपालिका को नमन करता हूं और न्याय मिलने को लेकर आश्वस्त हूं।” उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, “मैं उनका आभारी हूं कि उन्होंने देशहित में मेरी ओर से यह मामला उठाया और भविष्य में भी मेरा पक्ष दृढ़ता से रखते रहेंगे।”

अपने बयान में उन्होंने राहुल गांधी से यह सवाल भी उठाया, “मैं अब रिटायर्ड हूं, इसलिए कह सकता हूं कि करोड़ों भारतीय, जिनमें सैनिक भी शामिल हैं, यह जानना चाहते हैं कि राहुल गांधी ने 2008 में चीन के साथ क्या समझौता किया था? यदि वह मसौदा सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, तो कम से कम यह तो बताएं कि उसमें ऐसा क्या है, जिसे देश से छिपाया गया है?” उन्होंने आगे कहा, “राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष हैं और देश के प्रमुख नेताओं में से एक हैं। एक नागरिक के नाते मेरी उनसे अपील है कि 2008 में चीन के साथ हुए उस समझौते का मसौदा पारदर्शिता के साथ देश के सामने लाया जाए।”