बाहुबली विधायक रमाकांत यादव की ₹26.5 करोड़ की संपत्ति कुर्क: शराब कांड, गैंगस्टर एक्ट और गिरते राजनीतिक कद की पूरी कहानी

आजमगढ़, जून 2025। उत्तर प्रदेश की राजनीति में लंबे समय से प्रभावशाली भूमिका निभाने वाले पूर्व सांसद और समाजवादी पार्टी के बाहुबली विधायक रमाकांत यादव एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार कारण उनके राजनीतिक भाषण या चुनावी ताकत नहीं, बल्कि गैंगस्टर एक्ट के तहत ₹26.5 करोड़ की संपत्ति की कुर्की है। यह कार्रवाई आजमगढ़ प्रशासन और पुलिस द्वारा की गई, जिसमें रमाकांत यादव, उनके परिवार और नजदीकी रिश्तेदारों के नाम दर्ज जमीन और प्रतिष्ठानों को जब्त कर लिया गया।
रमाकांत यादव पूर्वांचल की राजनीति का एक बड़ा नाम हैं। उन्होंने आजमगढ़, जौनपुर, वाराणसी और आसपास के जिलों में राजनीतिक वर्चस्व स्थापित किया। वे फूलपुर-पवई विधानसभा सीट से विधायक हैं और इससे पहले लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं। उनकी पहचान एक प्रभावशाली, लेकिन विवादित नेता के रूप में रही है। वे भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस जैसी पार्टियों से भी जुड़ चुके हैं, लेकिन फिलहाल समाजवादी पार्टी में सक्रिय हैं।

रमाकांत यादव के खिलाफ विभिन्न थानों में कुल 58 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इन मामलों में हत्या, अपहरण, बलवा, लूटपाट, अवैध वसूली, धमकी, और अवैध शराब का कारोबार जैसे संगीन आरोप शामिल हैं। यह इतिहास उन्हें उत्तर प्रदेश के सबसे कुख्यात और प्रभावशाली ‘बाहुबली नेताओं’ की सूची में ला खड़ा करता है। वर्तमान में वे फतेहगढ़ जेल में बंद हैं।

2022 में रमाकांत यादव का नाम एक जहरीली शराब कांड में सामने आया था जिसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी। यह मामला इतना गंभीर था कि राज्य सरकार ने इसे विशेष संज्ञान में लिया और प्रशासन को कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। जांच के दौरान पुलिस और आबकारी विभाग ने पाया कि इस कांड में रमाकांत यादव और उनके परिजन प्रत्यक्ष रूप से शामिल थे। इसी कांड को आधार बनाकर गैंगस्टर एक्ट के तहत संपत्ति कुर्की की कार्यवाही शुरू की गई।

13 जून 2025 को आजमगढ़ पुलिस और प्रशासन ने ढोल-नगाड़ों और मुनादी के साथ रमाकांत यादव की करोड़ों की संपत्ति कुर्क की। इस कार्रवाई में शामिल संपत्तियों में शामिल हैं:

गाटा संख्या 981, कुल क्षेत्रफल 3.475 हेक्टेयर, मूल्य लगभग ₹16.33 करोड़।

रमाकांत यादव, उनकी पत्नी, बेटे और भांजे के नाम दर्ज कुल 53 बीघा जमीन।

एक मुर्गी फार्म, आवासीय भूखंड और कृषि भूमि।

कुल मिलाकर संपत्ति का बाज़ार मूल्य लगभग ₹26.5 करोड़ आंका गया।

इन संपत्तियों को गैंगस्टर एक्ट की धारा 14(1) के तहत कुर्क किया गया, जिसे कोर्ट की अनुमति और सक्षम प्राधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर किया गया।

जिला प्रशासन और पुलिस बल ने संयुक्त रूप से मुनादी करवाई, जिसमें स्थानीय जनता को बताया गया कि ये संपत्तियां अवैध कमाई की हैं और इन पर अब सरकार का कब्जा है। मौके पर बोर्ड चस्पा किए गए, जमीनों को सील किया गया और सुरक्षा बलों को तैनात किया गया ताकि कोई विरोध न हो।

कार्यवाही में एसडीएम सदर, सीओ सिटी, तहसीलदार, लेखपाल, दरोगा और कई अन्य अधिकारी मौजूद रहे। यह प्रक्रिया सुबह से लेकर शाम तक चली, जिसमें गांववालों की भी भीड़ जुट गई थी।

इस कुर्की का असर न सिर्फ रमाकांत यादव की छवि पर, बल्कि उनके राजनीतिक भविष्य पर भी पड़ने वाला है। 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटी समाजवादी पार्टी के लिए यह एक असहज स्थिति है। हालांकि अभी तक पार्टी ने आधिकारिक रूप से इस मामले पर प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों के अनुसार पार्टी नेतृत्व इस प्रकरण से दूरी बना रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कार्रवाई प्रदेश सरकार की ‘माफिया मुक्त यूपी’ अभियान का हिस्सा है। इससे यह संदेश भी गया है कि चाहे कोई कितना भी बड़ा नेता क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं।

फिलहाल अब मामला आगे कोर्ट में चलेगा। कुर्क संपत्ति को सरकार की ओर से कब्जे में रखा जाएगा, और यदि कोर्ट अंतिम रूप से रमाकांत यादव को दोषी ठहराती है, तो इन संपत्तियों को नीलाम किया जा सकता है या जनहित कार्यों में उपयोग किया जा सकता है। अगर दोष सिद्ध नहीं हुआ तो संपत्ति वापसी की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।

रमाकांत यादव की कहानी उत्तर प्रदेश की उस राजनीति की झलक देती है जहां सत्ता, अपराध और प्रभाव एक त्रिकोण की तरह चलते रहे हैं। लेकिन बदलते समय में अब कानून की पकड़ मजबूत हो रही है और सत्ता के गलियारों में बैठे लोगों को भी जवाब देना पड़ रहा है।

₹26.5 करोड़ की संपत्ति कुर्की महज़ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि यह उस व्यवस्था का प्रतीक है जो अब बाहुबल और दहशत की जगह कानून और जवाबदेही की ओर बढ़ रही है।