
लखनऊ। एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के भीषण हादसे में जब सबकुछ राख हो गया, तब एक सीट थी जो जीवन की लौ को थामे रही—सीट 11A। यही वो सीट थी, जिस पर बैठे थे रमेश विश्वास, हादसे में बचने वाले इकलौते व्यक्ति। अब सोशल मीडिया पर यह सीट चर्चा का केंद्र बन चुकी है, जिसे लोग ‘भाग्य की सीट’ और ‘मृत्यु को मात देने वाली जगह’ तक कह रहे हैं।
क्या है सीट 11A की खासियत? रमेश विश्वास की सीट 11A, बिज़नेस क्लास के आख़िरी रो के ठीक बाद, मेन डोर से सटी इकोनॉमी क्लास की पहली सीट थी। एयरक्राफ्ट डिज़ाइन एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इमरजेंसी के वक्त यह ज़ोन सबसे तेज़ एक्सेस पॉइंट बनता है—विंडो सीट होने के बावजूद, इसका दरवाजे के करीब होना तुरंत बाहर निकलने की संभावना को बढ़ा देता है।
हादसे का दिन जैसे ही विमान ने दोपहर 1:39 बजे टेक-ऑफ किया और महज़ 650 फीट की ऊंचाई पर पहुंचा, इंजन में तकनीकी खराबी आने लगी। चंद सेकंडों में विमान ने इमरजेंसी सिग्नल भेजा और फिर क्रैश हो गया। मलबे में आग और धुआं सब कुछ निगल रहा था—सिवाय उस सीट के, जहां बैठे थे रमेश विश्वास।
“मुझे ऐसा लगा जैसे कोई अदृश्य शक्ति मुझे खींच लाई” रमेश विश्वास का कहना है, “मेरी मूल सीट 19C थी। लेकिन बोर्डिंग के वक्त केबिन क्रू ने मुझे कहा कि 11A खाली है, आप वहां बैठ सकते हैं। मैं झिझका, लेकिन मान गया। आज सोचता हूं—वो बदलाव सिर्फ़ संयोग नहीं था, ईश्वर की कृपा थी।”
📊 विशेषज्ञों की राय एविएशन सेफ्टी एक्सपर्ट्स मानते हैं कि “फ्लाइट में पूरी तरह सुरक्षित कोई सीट नहीं होती,” लेकिन मध्य भाग और आपात दरवाज़ों के पास की सीटें आमतौर पर सर्वाइवल चांस को बढ़ा देती हैं। रमेश का बचना इसी तथ्य को और मज़बूत करता है।सीट 11A की फोटो वायरल हादसे के बाद विमान का जो हिस्सा सबसे पहले कैमरे में आया, वो था दरवाजे के पास की टूटी-फूटी सीट 11A। सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे है “अब से मेरी टिकट बुकिंग सिर्फ 11A!”
“इस सीट को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर देना चाहिए।”
क्या 11A बनेगी अब एयर इंडिया की ‘लकी सीट’? एयर इंडिया ने घटना पर गहरा दुख जताते हुए जांच के आदेश दिए हैं। लेकिन अब सबकी निगाह इस बात पर है कि क्या एयरलाइन इस सीट को विशेष सम्मान देगी या फिर इसे भविष्य में हमेशा के लिए खाली रखेगी?