आचार्य रामदेव लाल ‘विभोर’ की 89वीं जयंती पर आयोजित हुआ भव्य साहित्यिक समारोह

लखनऊ, 12 जुलाई। काव्य कला संगम संस्था के तत्वावधान में आचार्य रामदेव लाल ‘विभोर’ की 89वीं जयंती उत्तर प्रदेश प्रेस क्लब, लखनऊ में अत्यंत श्रद्धा और साहित्यिक गरिमा के साथ मनाई गई। समारोह की अध्यक्षता डॉ. हरिशंकर मिश्र ने की। उन्होंने विभोर जी को आचार्य कवि की कोटि में आने वाला मनीषी बताते हुए कहा कि “उनकी रचनाएँ और लक्षण ग्रंथ समकालीन साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं। उनका व्यक्तित्व और कृतित्व प्रेरक है।”

मुख्य अतिथि डॉ. राम कठिन सिंह ने कहा कि “श्री रामदेव लाल ‘विभोर’ छान्दस कविता के मर्मज्ञ विद्वान थे। छंद-विधान पर उनका शोध साहित्य में दुर्लभ उदाहरण है।”
विशिष्ट अतिथि साहित्य भूषण मधुकर अष्ठाना ने विभोर जी की स्मृति में एक भावभीना मुक्तक प्रस्तुत किया —
“जिए तो ऐसे कि फूलों के साथ नाम रहा,
हमारे दिल में बसे आप खुशबुओं की तरह।
रहे तो वक़्त के सीने पे दस्तखत कर के,
दिखाई दूर से देते हैं गुम्बदों की तरह।”

डॉ. अमिता दुबे ने विभोर जी की कृतियों “नीम की छांव”, “छंद-विधान”, एवं “ग़ज़ल ज्ञान” को साहित्यिक धरोहर बताते हुए कहा कि “उनका संपूर्ण रचनाकर्म वास्तव में विभोर करने वाला है।”

‘विभोर स्मारिका’ का लोकार्पण
इस अवसर पर ‘विभोर स्मारिका’ नामक पत्रिका का लोकार्पण भी किया गया। साथ ही देश के विभिन्न अंचलों से पधारे वरिष्ठ कवियों — मुरलीधर पाण्डेय (मुंबई), रामकिशोर तिवारी (बाराबंकी), उमेश चंद्र दुबे, अवधेश गुप्त ‘नमन’ और डॉ. सुष्मा विप्लव ‘सौम्या’ को आचार्य रामदेव लाल विभोर स्मृति सम्मान 2025 से सम्मानित किया गया।

परिवार और साहित्यकारों की गरिमामयी उपस्थिति
समारोह में विभोर जी के सुपुत्र एवं संस्था के महामंत्री राजेश कुमार श्रीवास्तव समेत मुकेश, बृजेश, अखिलेश और विकास कुमार श्रीवास्तव सहित पूरा परिवार सपरिवार उपस्थित रहा। लखनऊ नगर के कई प्रमुख साहित्यकारों ने भी कार्यक्रम में भाग लेकर विभोर जी को श्रद्धांजलि दी।

सौहार्दपूर्ण संचालन और समापन
कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन आवारा नवीन एवं नवीन शुक्ल ‘नवीन’ ने किया। अंत में संस्था के महामंत्री राजेश कुमार श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों व साहित्यप्रेमियों के प्रति आभार जताते हुए समारोह के समापन की घोषणा की।