के.बी हेडगेवार और गोलवलकर जी को अर्पित की श्रद्धांजली
नई दिल्ली। अपने सांप्रदायिक बयानों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत खासा चर्चा में रहते हैं। लेकिन इस बार आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आरएसएस मुख्यालय, नागपुर के मंच से विजयादशमी के मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने धार्मिक जनसंख्या वृद्धि दर में अंतर को लेकर अपनी चिंता जताई है। दरअसल विजयादशमी के मौके पर आरएएस अपना 96वां स्थापना दिवस मना रही है। हिंदी तिथि के मुताबिक विजयादशमी के दिन ही 1925 में आरएसएस की स्थापना हुई थी। आपको बता दें कि स्थापना दिवस आरएसएस के मुख्यालय नागपुर में हुआ। जिस मौके पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपना बयान दिया। मोहन भागवत ने अपने बयान में मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या बढ़ने और भारत में उतपन्न मत पंथों के अनुयायिओं की घट रही आबादी को लेकर भी मंच से अपनी चिंता व्यक्त की। साथ ही मोहन भागवत ने कहा कि- ‘यह देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा है’
मोहन भागवत का बयान
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का कहना है कि- ‘वर्ष 1951 से 2011 के बीच जनसंख्या वृद्धि दर में भारी अंतर के कारण देश की जनसंख्या में जहाँ भारत में उत्पन्न मत पंथों के अनुयायियों का अनुपात 88 प्रतिशत से घटकर 83.8 फ़ीसदी हो गया है। वहीं मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 9.8 प्रतिशत से बढ़कर 14.23 फ़ीसदी हो गया है।’
साथ ही उन्होंने मंदिरों को लेकर भी कहा है कि- ‘हिन्दू मंदिरों का संचालन हिन्दू भक्तों के ही हाथों में रहे और हिन्दू मंदिरों की संपत्ति का विनियोग भगवान की पूजा के साथ हिन्दू समाज की सेवा और कल्याण के लिए ही हो, यह भी उचित और आवश्यक है’
ओटीटी प्लेटफॉर्म पर होना चाहिए नियंत्रण- मोहन भागवत
काफी समय से ओटीटी प्लेटफॉर्म के कारण देश में चल रहे विवाद को लेकर मोहन भागवत का कहना है कि- ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कोई नियंत्रण नहीं है। नियंत्रण विहीन व्यवस्था से अराजकता का संकट होता है, इन सब पर मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।’