भगवान शिव का अपमान सहन न होने पर सती ने दी प्राणों की आहुति

रामनगर (बाराबंकी): भगवान शिव के मना करने के बावजूद माता पार्वती (सती) जब बिना निमंत्रण के अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में पहुंचीं, तो वहां भगवान शिव का घोर अपमान हुआ। इस अपमान को सती सहन न कर सकीं और उन्होंने वहीं अपने प्राणों की आहुति दे दी।

यह प्रसंग रामनगर धमेडी़ मोहल्ला स्थित लक्ष्मी नारायण शुक्ला के आवास पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन वैष्णवाचार्य स्वामी श्री अप्रमेय प्रपन्नाचार्य जी महाराज ने सुनाया। उन्होंने कहा कि एक बार सती के पिता दक्ष प्रजापति ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया था, लेकिन उन्होंने अपने दामाद भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। यह शिव के लिए गहरी अपमानजनक बात थी।

माता सती, जो शिव के प्रति अनन्य श्रद्धा रखती थीं, अपने पिता के इस व्यवहार को सहन न कर सकीं और यज्ञ की अग्नि में कूदकर आत्मदाह कर लिया। दुःख और क्रोध से भरे भगवान शिव ने सती की देह को अपनी भुजाओं में उठाकर तांडव नृत्य आरम्भ कर दिया। यह तांडव समस्त सृष्टि के विनाश का कारण बन सकता था। तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती की देह के 51 खंड कर दिए, जो भारतवर्ष के विभिन्न भागों में गिरे। इन्हीं स्थानों को आज 51 शक्तिपीठों के रूप में पूजा जाता है।

स्वामी अप्रमेय प्रपन्नाचार्य जी ने बताया कि उत्तर में हिंगलाज माता (बलोचिस्तान) से लेकर दक्षिण में शंकरी देवी (श्रीलंका) तक फैले ये शक्तिपीठ भारत की आध्यात्मिक ऊर्जा और देवी शक्ति के प्रतीक हैं। इनमें ज्वालाजी शक्तिपीठ में आज भी अज्ञात स्रोत से ज्वाला जलती रहती है, जबकि कामाख्या देवी शक्तिपीठ सृष्टि की उत्पत्ति का प्रतीक मानी जाती है।

उन्होंने यह भी कहा कि देवी सती के आत्मदाह और शिव के तांडव का प्रसंग मानव जीवन में अपमान, अहंकार और प्रेम की सीमाओं का गूढ़ संदेश देता है। सुदर्शन चक्र द्वारा सती की देह का विभाजन शक्ति के पुनर्जन्म और संसार में देवी ऊर्जा के प्रसार का प्रतीक है।

कथा के अगले प्रसंग में आचार्य ने विदुर पर भगवान श्रीकृष्ण की कृपा का उल्लेख करते हुए बताया कि किस प्रकार प्रेम के वशीभूत होकर श्रीकृष्ण ने विदुर के यहां केले न खाकर उनके छिलके ही ग्रहण किए। इसी क्रम में उन्होंने कपिल भगवान की कथा का भी भावनात्मक वर्णन किया।

इस अवसर पर लक्ष्मी नारायण शुक्ला, आचार्य शिवानंद जी महाराज (अयोध्याधाम), अनिल अवस्थी, मधुबन मिश्रा, आशीष पांडे, बृजेश शुक्ला, दुर्गेश शुक्ला, गोपाल जी महाराज, उमेश पांडे, शुभम जायसवाल, लवकेश शुक्ला, शिवम शुक्ला और निर्मल मिश्रा सहित कई श्रद्धालु उपस्थित रहे।