स्कूलों की ‘पेयरिंग’ से शिक्षा क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाएगी योगी सरकार

बदलाव लाएगी योगी सरकार


नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप विद्यालयों की पेयरिंग कर गुणवत्तापूर्ण, समावेशी और प्रतिस्पर्धात्मक शिक्षा की ओर बढ़ रहा उत्तर प्रदेश

लखनऊ, 10 जुलाई। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और समावेशी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन के तहत प्रदेश में ‘स्कूल पेयरिंग’ की योजना को अमलीजामा पहनाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य छोटे स्कूलों को नजदीकी बड़े स्कूलों से जोड़कर संसाधनों का समेकन, शिक्षकों की उपलब्धता और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है। इस योजना से शिक्षा का वातावरण एकीकृत और प्रतिस्पर्धात्मक बनेगा, जिससे छात्र-छात्राओं का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सकेगा।

पेयरिंग मॉडल के अंतर्गत छोटे नामांकन वाले स्कूलों को नजदीकी समृद्ध विद्यालयों से जोड़ा जा रहा है। इससे शिक्षकों की मौजूदगी बढ़ेगी और छात्र एक साझा कैंपस में लाइब्रेरी, लैब, खेल मैदान, स्मार्ट क्लास जैसी सुविधाओं का उपयोग कर सकेंगे। इस मॉडल को निजी स्कूलों की तर्ज पर तैयार किया गया है जिसमें प्री-प्राइमरी से लेकर उच्च कक्षाओं तक की पढ़ाई एक ही परिसर में कराई जाएगी।

राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और असम जैसे राज्यों में पहले से यह मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया जा चुका है और वहीं से प्रेरणा लेकर उत्तर प्रदेश सरकार ने इस योजना को आगे बढ़ाया है। राजस्थान में 17 हजार, मध्य प्रदेश में 16 हजार से अधिक स्कूलों का समेकन हुआ है। ओडिशा, झारखंड जैसे राज्यों ने कम शिक्षक वाले विद्यालयों को एकीकृत कर संसाधनों की प्रभावी उपलब्धता और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है।

प्रदेश में इस योजना से शिक्षकों और छात्रों दोनों को लाभ मिलेगा। छात्र पियर लर्निंग, समूह चर्चा, खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों में सहभागी बन सकेंगे। शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण, सहयोग और नवाचार की नई संभावनाएं पैदा होंगी। स्मार्ट क्लास, डिजिटल संसाधनों और कंप्यूटर लैब जैसी सुविधाओं का बेहतर इस्तेमाल होगा और शिक्षा में अनुशासन और उपस्थिति की दर भी बढ़ेगी।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि पेयरिंग योजना के तहत कोई भी विद्यालय बंद नहीं किया जाएगा, बल्कि उन्हें अपग्रेड किया जाएगा। एक स्कूल को प्री-प्राइमरी तो दूसरे को प्राथमिक या उच्च प्राथमिक विद्यालय के रूप में विकसित किया जाएगा। इन विद्यालयों को बाल सुलभ फर्नीचर, स्मार्ट क्लास, ओपन जिम, स्वच्छ शौचालय, वाई-फाई जैसी सुविधाओं से लैस किया जा रहा है ताकि विद्यार्थियों को एक बेहतर और आधुनिक वातावरण मिल सके।

योगी सरकार प्रत्येक जनपद में मुख्यमंत्री अभ्युदय कम्पोजिट विद्यालय और मुख्यमंत्री मॉडल कम्पोजिट विद्यालय की स्थापना भी कर रही है। अभ्युदय विद्यालयों की लागत ₹1.42 करोड़ और मॉडल कम्पोजिट विद्यालयों की लागत ₹30 करोड़ प्रति विद्यालय निर्धारित की गई है। इन स्कूलों में 30 स्मार्ट क्लास, डिजिटल लाइब्रेरी, आधुनिक प्रयोगशालाएं, कौशल विकास केंद्र, खेल मैदान और विज्ञान, वाणिज्य व कला संकाय की पृथक कक्षाएं होंगी, जिससे छात्र आधुनिक शिक्षा पद्धति के अनुरूप तैयार हो सकें।

स्कूल पेयरिंग को लेकर किसी भी प्रकार की भ्रांतियों को सरकार ने सिरे से खारिज किया है। यह योजना न तो स्कूल बंद करने के लिए है और न ही शिक्षकों को हटाने के लिए। बल्कि यह एक दूरदर्शी योजना है, जो छात्रों को जीवंत, प्रतिस्पर्धात्मक और समावेशी शिक्षा वातावरण देने की दिशा में एक ठोस पहल है। अलग-अलग क्षेत्रों की भौगोलिक और सामाजिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए जिला स्तर पर लचीलापन बरतते हुए पेयरिंग की प्रक्रिया अपनाई जा रही है ताकि सभी विद्यार्थियों को समुचित लाभ मिल सके।

योगी सरकार की यह योजना केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि भावी पीढ़ी के भविष्य को सशक्त बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी प्रयास है, जो उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता रखती है।