जांच में अपने सहयोगियों को कथित तौर पर प्रभावित करने और उसके खिलाफ साक्ष्यों को मिटाने की कर रहा था कोशशि अदालत
नई दिल्ली। 18 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने शादी के नाम पर महिला से बलात्कार के आरोपी नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि वह जांच में अपने सहयोगियों को कथित तौर पर प्रभावित करने और उसके खिलाफ साक्ष्यों को मिटाने की कोशशि कर रहा था। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि आरोपी अधिकारी का यह आरोप कि महिला उससे पैसे वसूल रही थी, “उसके दुख को और बढ़ाता है।” इसने कहा कि नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी के तौर पर इस व्यक्ति को ज्यादा जवाबदेह व्यवहार प्रदर्शित करना चाहिए था।
न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने की याचिका खारिज
न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने मामले में आरोपी की अग्रिम जमानत की याचिका खारिज करते हुए कहा, बेशक, पीडि़ता एक शिक्षित महिला है लेकिन क्या शिक्षित लोग धोखाधड़ी से बचे रहते हैं। जवाब होगा ‘नहीं’। अदालत ने कहा कि तथ्य दिखाते हैं कि महिला और अधिकारी के बीच इस तरह के संबंध थे कि उसे उम्मीद दी थी कि वह हर कीमत पर उससे शादी करेगा जो सोचना कहीं से भी गलत नहीं है। न्यायाधीश ने कहा, क्या उसे इस बहाने से उसकी गरिमा के साथ खेलने की अनुमति दी जा सकती है कि उसने उसके साथ सिर्फ मनोरंजन के लिए सहवास किया और बाद में दावा किया कि वह उससे पैसे वसूल रही है। इस तरह के आरोप अगर सबूत के साथ साहित नहीं होते तो अपमानजनक हैं। अदालत ने कहा कि अब तक की जांच में सामने आया है कि आरोपी अपने अधीनस्थों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा था और उसने अपने खिलाफ सबूतों को नष्ट किया या डिलीट कर दिया।